डेंगू बुखार की जानकारी
डेंगू बुखार का पता ब्लड टेस्ट के द्वारा लगाया जाता है। इससे बचने के लिए कोई स्पेशल दवाई नहीं है, लेकिन डेंगू से बचने के लिए आपको कई सावधानियां बरतनी होती हैं। इस दौरान आपको आराम और बहुत सारे पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। डेंगू की चपेट में आने से बचने और अगर गलती से आप इसकी चपेट में आ भी गए है तो कुछ प्राकृतिक उपाय अपनाएं जा सकते है। जी हां आप इसके लिए नीम के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
डेंगू बुखार के लिए नीम
आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल सदियों से कई रोगों के इलाज में किया जाता है। हालांकि नीम के पत्ते इम्युनिटी बढ़ाते हैं, लेकिन नीम के लगभग हर हिस्से में कई औषधीय लाभ हैं। आइए जानें कि डेंगू से लड़ने के लिए नीम का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
नीम के पत्तों में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाये जाते हैं। इसलिए नीम के पत्तों और उसके अर्क को पीने से ब्लड प्लेटलेट और सफेद रक्त कोशिकाओं दोनों की संख्या में वृद्धि होती है। उचित रूप से पिसे हुए नीम के पत्ते प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर सकते हैं और कई अन्य घरेलू उपचारों की तुलना में आपकी ताकत बहुत तेजी से लौटा सकते हैं। इसके अलावा रोजाना नीम के पत्ते चबाने से इम्युनिटी बढ़ती है, खून साफ होता है और बॉडी से टोक्सिन निकलते हैं।
नीम के बारे में ये तो आप जानते ही होंगे कि जहां भी नीम का पेड़ होता है, वहां कीड़े-मकोड़े भटकते भी नहीं है। इसलिए नीम को कपूर के साथ रख कर जलाने पर घर में बसे मच्छरों का भी खात्मा हो जाता है।
बचाव इलाज से बेहतर होता है। इसलिए डेंगू को रोकने के लिए मच्छरों से बचाव करना सबसे अच्छा उपाय है। मच्छरों से राहत पाने के लिए सूखे नीम के पत्तों को जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा नीम का तेल मच्छरों से राहत पाने का बेहतर उपाय है। अगर हम नीम का तेल अपनी त्वचा पर लगायेंगे तो डेंगू का मच्छर हमें काटेगा ही नहीं।
नीम के पत्तों का रस पपीते के पत्तों के रस के साथ मिलाकर पीना डेंगू के इलाज के लिए बेहतर उपाय है। नीम की तरह पपीते की ताजी और छोटी पत्तियां शरीर से डेंगू के विषैले जहर को निकालने में मदद करती है। जी हां पपीते की ताजी पत्तियों को पीसकर उसके रस को रोगी को पिलाने से प्लेटलेट्स बढ़ने शुरु हो जाते हैं।
तो देर किस बात की डेंगू बुखार से बचना है तो आज से ही ट्राई करें नीम।
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