• किडनी फेल होने के कारण —
अधिकतर मामलों में, गुर्दे हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाले ज़्यादातर अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। हालाँकि, यदि गुर्दों तक पहुँचने वाला रक्त प्रवाह प्रभावित हो जाता है, तो ये अच्छी तरह से काम नहीं करते। ऐसा होने का कारण कोई क्षति या बीमारी होती है। यदि मूत्र विसर्जन में बाधा आती है, तो समस्याएँ हो सकती हैं।
अधिकांश मामलों में, किसी जीर्ण बीमारी का परिणाम होता है सीकेडी, जैसे:
1. मधुमेह – किडनी फेल होने को मधुमेह के प्रकार 1 और 2 से जोड़ा गया है। यदि रोगी का मधुमेह सही तरह से नियंत्रित नहीं है तो चीनी (ग्लूकोज) की अत्यधिक मात्रा रक्त में जमा हो सकती है। किडनी की बीमारी मधुमेह के पहले 10 सालो में आम नहीं होती है। यह बीमारी आमतौर पर मधुमेह के निदान के 15-25 साल बाद होती है।
2. उच्च रक्तचाप – उच्च रक्तचाप गुर्दों में पाए जाने वाले ग्लोमेरुली भागों को नुकसान पहुँचा सकता है। ग्लोमेरुली शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को छानने में मदद करते हैं।
3. बाधित मूत्र प्रवाह – यदि मूत्र प्रवाह को रोक दिया जाता है तो वह मूत्राशय (वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स) से वापस किडनी में जाकर जमा हो जाता है। रुके हुए मूत्र का प्रवाह गुर्दों पर दबाव बढ़ाता है और उसकी कार्य क्षमता को कम कर देता है। इसके संभावित कारणों में बढ़ी हुई पौरुष ग्रंथि, गुर्दों में पथरी या ट्यूमर शामिल है।
4. अन्य गुर्दा रोग – इसमें पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, पाइलोनेफ्रिटिस या ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस शामिल हैं।
5. गुर्दा धमनी स्टेनोसिस – गुर्दे में प्रवेश करने से पहले गुर्दे की धमनी परिसीमित हो जाती या रुक जाती है।
6. कुछ विषैले पदार्थ – इनमें ईंधन, सॉल्वैंट्स (जैसे कार्बन टेट्राक्लोराइड), सीसा और इससे बने पेंट, पाइप और सोल्डरिंग सामग्री) शामिल हैं। यहाँ तक कि कुछ प्रकार के गहनों में विषाक्त पदार्थ होते हैं, जो कि गुर्दे की विफलता का कारण बन सकते हैं।
7. सिस्टमिक लुपस एरीथमैटोसिस – यह एक स्व-प्रतिरक्षित बीमारी है। इसमें शरीर की अपनी ही प्रतिरक्षा प्रणाली गुर्दों की गंभीर रूप से प्रभावित करती है जैसे कि वे कोई बाहरी ऊतक हों।
8. मलेरिया और पीला बुखार – गुर्दों के कार्य में बाधा डालने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
9. भ्रूण के विकास सम्बन्धी समस्या – अगर गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के गुर्दे सही प्रकार से विकसित नहीं होते हैं।
9. कुछ दवाएँ – उदाहरण के लिए एनएसएआईडीएस , जैसे – एस्पिरिन या इबुप्रोफेन का अत्यधिक उपयोग।
अवैध मादक द्रव्यों का सेवन – जैसे हेरोइन या कोकेन।
चोट – गुर्दों पर तेज़ झटका या चोट लगना।
• किडनी फेल होने पर क्या करे —
अगर आप में भी किडनी की बीमारी से ग्रसित है तो बिना देरी किये अपने आस-पास के एक अच्छे हेल्थ एक्सपर्ट से इसकी जॉच करवाएं, इसके लिए आपको एक अच्छे एक्सपर्ट को तलाश ने जरुरत होगी, लेकिन अब आपको परेशान होने की बिलकुल जरूरत नहीं हैं , क्योंकि आपकी इस समस्या का हल भी आपको ऑनलाइन ही मिल जायेगा | यहाँ पर आपको आपके क्षेत्र के अनुसार एक अच्छे एक्सपर्ट की लिस्ट मिल जाएगी CLICK HERE l जिनसे आप ऑनलाइन या ऑफलाइन बातचीत कर सकते हैं, नीचे दिए गए उपायों को अपनाकर आप किडनी की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं ।
• किडनी फेल होने से बचाव -
आप सीकेडी (CKD) की रोकथाम हमेशा नहीं कर सकते। हालाँकि उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करके किडनी रोग के खतरों को कम किया जा सकता है। यदि आपको किडनी की गंभीर समस्या है तो इसके लिए आपको नियमित जाँचकरानी चाहिए। सीकेडी (CKD) का निदान शीघ्र करने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों और सलाह का पालन करना चाहिए।
1. आहार
पौष्टिक आहार, जिसमें बहुत से फल और सब्जियां, साबुत अनाज, बिना चर्बी वाला मांस या मछली शामिल हों, उच्च रक्तचाप को कम रखने में मदद करता है।
2. शारीरिक गतिविधि
नियमित शारीरिक व्यायाम रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए आदर्श माना जाता है। यह मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालीन बीमारियों को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे अपनी उम्र, वजन और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल व्यायाम के बारे में डॉक्टर से परामर्श लें।
3. कुछ पदार्थों से बचें
शराब और ड्रग्स का सेवन न करें। लीड जैसी भारी धातुओं के साथ अधिक समय तक संपर्क में आने से बचें। ईंधन, सॉल्वेंट्स और अन्य विषैले रसायनों से अपने आपको बचाकर रखें।
• किडनी या गुर्दे के रोगों का आयुर्वेदिक उपचार :
1. नियमित नींबू, आलू का रस और हमेशा शुद्ध जल का अधिक से अधिक सेवन करें।
2. गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना चाहिए। इससे न सिर्फ गुर्दे की बीमारी से बचे रहेंगे बल्कि कमर दर्द, लिवर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से भी बचाव होगा।
3. गुर्दे के रोग में बथुआ फायदेमन्द होता है। पेशाब कतरा-कतरा सा आता हो या पेशाब रुक-रुककर आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
4. गुर्दे के रोगी को आलू खाना चाहिए। इसमें सोडियम की मात्रा बहुत पायी जाती है और पोटेशियम की मात्रा कम होती है।
5. मकोय का रस 10-15 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे गुर्दे और मूत्राशय की सूजन व पीड़ा दूर होती है।
6. गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार
पीना चाहिए।
7. पुनर्नवा के 10 से 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सेवन करने से गुर्दे के रोगों में बेहद लाभकारी होता है।
8. गाजर और ककड़ी या गाजर और शलजम का रस पीने से गुर्दे की सूजन, दर्द व अन्य रोग ठीक होते हैं। यह मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी होता है।
9. चाँदी की छड़ (काम) को अग्नि मेें एकदम लाल करो, और पहले से एक भगौनी में १ लीटर पानी छना रख लो, उसमें उस गरम छड़ को छोड़ दो, एवं ढक दो। ठन्डा होने पर हल्का गुनागुना यही पानी दिन में ३—४ बार पिलाते रहें किड़नी ठीक हो जाएगी l
10. 50 ग्राम मककई (भुट्टे के बाल ) के ऊपर के बाल ले लीजिये (जो मककई को ढक दिया करते हे वो बाल ) और 2 लीटर पानी मे उबाल दीजिये हल्के आग पे जब पानी एक लीटर शेष रह जाए वो पानी पूरे दिन मे थोड़े थोड़े अंतराल मे पी लीजिये आपकी किडनी की किसी भी समस्या का समाधान हो जाएगा।
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