धूम्रपान से दूरी
अगर आप धूम्रपान नहीं करते तो बहुत अच्छी बात है और आपको इसके सेवन से दूर ही रहना चाहिये। और अगर आप धूम्रपान करते हैं तो जल्द से जल्द इसे छोड़ देना चाहिये। धूम्रपान और तंबाकू के खतरों के बारे में जागरुक बनें। साथ ही अपने घर पर बच्चों को बतायें कि आखिर कैसे ये दोनों तत्व कैंसर का कारण बन सकते हैं। तंबाकू किसी भी रूप में फिर चाहे वह सिगरेट हो, सिगार या पाइप यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का मुख्य कारक हो सकता है। तंबाकू के सेवन से 10 में से 9 पुरुषों और 10 में से 8 महिलाओं में लंग कैंसर के मामले देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में कैंसर का जोखिम 20 गुना ज्यादा होता है।
सुबह पहली सिगरेट देर से पियें
फेफड़े के कैंसर की भविष्यवाणी करना एक मुश्किल काम है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में कहा गया है कि आप पहली सिगरेट दिन के किस समय पीते हैं यह बात भी काफी मायने रखती है। यह नियम कम और ज्यादा धूम्रपान करने वालों, दोनों पर लागू होता है। अध्ययन में धूम्रपान की मात्रा, समय और फेफड़ों के कैंसर के अन्य जोखिम कारकों की तुलना, 'पहली सिगरेट पीने का समय' ("time to first cigarette" (TTFC)), जो एक घंटे से अधिक था, से की गयी। इस अध्ययन में यह बात निकलकर सामने आयी कि जिन लोगों का टीटीएफसी कम था, उन्हें फेफड़े का कैंसर होने का खतरा खतरनाक रूप से अधिक पाया गया। लंग कैंसर के यह खतरे मौजूदा सिगरेट पीने वालों में पूर्व में धूम्रपान करने वालों की अपेक्षा अधिक थे। वहीं कम सिगरेट पीने वालों में भी या खतरा, अधिक सिगरेट पीने वालों की अपेक्षा ज्यादा था। हालांकि, महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं था।
घर में रेडॉन का परीक्षण करें
रेडॉन एक रेडियोधर्मी गैस है जो चट्टानों और मिट्टी में यूरेनियम के टूटने से आती है। यह जमीन से ऊपर रिसती है और हवा या पानी में मिल सकती है। रेडॉन फर्श, दीवारों, या नींव में दरार के माध्यम से घरों में प्रवेश कर सकती है। इससे घर में इस गैस की मात्रा बढ़ने लगती है। अपने घर में रेडॉन के स्तर को जांच करें, खासतौर पर अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते है जहां रेडॉन को एक समस्या माना जाता है। उच्च रेडॉन स्तर से अपने घर को सुरक्षित बनाने के लिए के उपाय किये जाने चाहिए। रेडॉन के संपर्क में आने वाले, धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक होता है।
कार्यस्थल में रखें ध्यान
अगर आप ऐसे पेशे में हैं जहां पर अभ्रक, आर्सेनिक, क्रोमियम, निकिल, बेरिलियम, कैडमियम, और राल और कालिख जैसे पदार्थों के संपर्क में आते हैं तो फेफड़ों के कैंसर के विकास का जोखिम बढ़ जाता है। कार्यस्थल में इस पदार्थ के संपर्क में आने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर पाया जाता है, हालांकि उन्होंने कभी धूम्रपान नही किया। लंग कैंसर का खतरा उन लोगों में बहुत अधिक होता है जो धूम्रपान करने के साथ-साथ इन केमिकल के संपर्क में आते हैं। इन पदार्थों के जोखिम के स्तर के बढ़ने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए सावधानियों का पालन करें। उदाहरण के लिए अगर आपको सुरक्षा के लिए चेहरे का मास्क दिया जाता है तो उसे हमेशा पहनें।
बीटा कैरोटीन के सप्लीमेंट
बीटा कैरोटीन की खुराक (गोलियां) से भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से एक दिन में एक या अधिक पैक धूम्रपान करने वाले लोगों में इस बीमारी के खतरे को बढ़ा देती है। नियमित रूप से शराब का सेवन करने वाले लोगों में जोखिम और बढ़ जाता है। हालांकि, गैर धूम्रपान करने वालों लोगों पर हुए शोध के अनुसार, बीटा कैरोटीन की खुराक लेने से फेफड़ों के कैंसर जोखिम को कम नहीं किया जा सकता। बीटा-कैरोटीन एक कैरोटीनॉयड है जो कुछ पौधों में पाया जाता है। और यह एक एंटीऑक्सीडेंट है। यह गाजर में नारंगी रंग के लिए जिम्मेदार होता है। बीटा-कैरोटीन की खुराक विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं में लोगों की मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, विटामिन ए की कमी वाले लोग द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
पौष्टिक आहार लें
फलों और सब्जियों से भरपूर स्वस्थ आहार का चयन करें। विटामिन और पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थ सबसे अच्छे होते हैं। गोली के रूप में विटामिन की बड़ी खुराक लेने से बचें यह आपके लिए हानिकारक हो सकती है। उदाहरण के लिए, शोधकर्ता भारी मात्रा में धूम्रपान करने वालों को फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने की उम्मीद से बीटा कैरोटीन की खुराक देते है। लेकिन परिणाम के अनुसार, इसकी खुराक से वास्तव में धूम्रपान करने वालों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
नियमित रूप से व्यायाम
नियमित रूप से व्यायाम करने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसमें सभी प्रकार के कैंसर शामिल हैं। जानकारों का मानना है कि व्यस्कों को रोजाना कम से कम 30 मिनट से 45 मिनट तक व्यायाम करना चाहिये। इससे कैंसर की रोकथाम में मदद मिलती है। कैंसर की रोकथाम पर हुए कैंसर रिसर्च के छठे वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2007 में अमेरिकन एसोसिएशन में प्रस्तुत एक अध्ययन के अनुसार, शारीरिक रूप से सक्रिय होने से फेफड़ों के कैंसर को न केवल पहली स्टेज पर रोकने में मदद मिलती है बल्कि लेकिन पहले से ही इसके निदान वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद मिलती है।