मोनो डाइट क्‍या है, वेट लॉस और कब्‍ज में हो सकते हैं फायदेमंद

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मोनो डाइट क्‍या है, वेट लॉस और कब्‍ज में हो सकते हैं फायदेमंद
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KayaWell Expert

मोनो मील का स्पष्ट मतलब है कि आप एक ही किस्म के आहार पर निर्भर हैं और आप किसी भी तरह के अन्य आहार को उसके साथ मिक्स नहीं करते। मसलन नाश्ते में आप सिर्फ तरबूज खाते हैं और कुछ नहीं। इसी तरह लंच में आप सिर्फ सेब खाते हैं और कुछ नहीं। डिनर में भी आप आम के अलावा और कुछ खाना पसंद नहीं करते। जबकि पूरे दिन में आप सिर्फ और सिर्फ संतरे का जूस पीते हैं और सप्ताह में एक दिन केले का जूस। कहने का मतलब साफ है कि आप एक ही आहार विशेष पर पूरी तरह आश्रित होते हैं उसे ही मोनो मील कहा जाता है।


जरा सोचिए कि हम विभिन्न किस्म के आहार क्यों खाते हैं? ऊर्जा, स्वस्थ जिंदगी और आकर्षक शरीर के लिए। असल में हम इस बात से वाकिफ ही नहीं है कि मोनो मील हमें ये सब चीजें बिना किसी मेहनत के दिला सकता है। आपको चाहिए कि किसी एक आहार विशेष पर आश्रित हों और अपनी जिंदगी में आमूलचूमल परिवर्तन देखें। हम यहां मोनो मील्स के कुछ फायदों पर नजर दौड़ाएंगे।


आसानी से पचता है

जब हम खानपान में प्रयोग करते हैं तो कई बार वे इतने हैवी हो जाते हैं पचाना ही मुश्किल हो जाता है। जबकि मोनो मील के साथ यह दिक्कत नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो मोनो मील को पचाना सबसे आसान होता है। ये कभी भी हमारे पाचन तंत्र पर अतिरिक्त भार नहीं डालते। इतना ही नहीं मोनो मील खाने से कभी भी कब्ज की समस्या भी नहीं होती। लेकिन यदि आप पेस्ट्री, चाकलेट, चाट, चऊमीन आदि भरपूर मात्रा में खाते हों तो पाचन सम्बंधी परेशानियों से भी आपको जूझना पड़ सकता है। मोनो मील से आप इस तरह की समस्याओं को स्थायी रूप से टाटा बाय बाय कह सकते हैं। 


कौन सा आहार सूट कर रहा है

मोनो मील एकमात्र ऐसा जरिया है जिससे आप जान सकते हैं कि आपके शरीर को कौन सा आहार विशेष सूट कर रहा है या फिर कौन सा आहार विशेष सूट नहीं कर रहा। समान्यतः लोगों को दुग्ध उत्पाद, व्हीन, सोया, अण्डा, पीनट्स, मछली, झींगा आदि चीजों से एलर्जी होती है। लेकिन इसका आसानी से पता नहीं चल पाता। डाक्टर भी अनुमानों पर ही इलाज करते हैं। लेकिन यदि आप मोने डाइट लें तो आसानी से जाना जा सकता है कि किस आहार विशेष से आपको एलर्जी है और यह भी कि कौन सा आहार विशेष आपके स्वास्थ्य को सूट करता है। 


सबसे आसानी से खाया जाता है

विभिन्न किस्म की सब्जी न सिर्फ बनाने में मुश्किल होती है बल्कि कई बार इन्हें सहजाता से पाया भी नहीं जाता। जबकि मोनो मील के साथ ऐसी समस्या नहीं है। आप जिस भी मौसमी आहार पर निर्भर हैं, वह आसानी से उपलब्ध होती है। इसके अलावा आपके पास उनका अच्छा खासा स्टाक होता है। इन्हें बनाने का झंझट कम होता है। यदि आप फलाहार पर निर्भर हैं तब तो किसी भी प्रकार की समस्या आपके इर्द-गिर्द नहीं फटक सकती है। दरसल फलों को तो बनाने का भी झंझट नहीं होता। इन्हें खाने में भी आसानी होती है। अपने डाइट के समयानुसार फल निकालें और खाने लगें। आपके नियमित ऐसा करने से अकसर दूसरे हत्प्रभव रह जाते हैं। लेकिन यकीन मानिए मोनो मील की अपनी खासियत है।


आप अच्छे आहार के लिए प्रभावित होते हैं

जब आप मिश्रित आहार लेते हैं तो उनमें कुछ खराब और कुछ अच्छे आहार होते हैं। जबकि मोनो मील आपको सिर्फ और सिर्फ अच्छे आहार की ओर धकेलते हैं। असल में आप जानते होते हैं कि आप सिर्फ एक ही आहार पर निर्भर हैं तो फिर आप ऐसे आहार को चुनते हैं तो जिसमें ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही आप अपने आवश्यक तत्वों का भी ख्याल रखते हैं। अतः पूरे दिन में आप उन तमाम तत्वों को ले लेते हैं जो स्वस्थ शरीर की जरूरत होती है। 


बंद करना आसान है

विभिन्न किस्म के आहार में आप यही नहीं जान पाते कि कौन सा आहार सही है और कौन सा खराब। ऐसे में यह जानना तो और भी मुश्किल हो जाता है कि किस आहार को बंद किया जाए। लेकिन मोनो मील के साथ ऐसा नहीं है। इसमें आप आसानी से जान जाते हैं कि किस आहार विशेष को कितने दिनों में बंद करना है। यही नहीं मोनो मील लेते हुए डाक्टर भी आसानी से आपको सलाह दे सकते हैं कि एक आहार विशेष आपके लिए कितने दिनों तक लाभकारी हो सकता है।


दूसरे भी आपकी तारीफ करते हैं

निःसंदेह मोनो मील पर निर्भर रहना ओर उस पर अडिग रहना काफी मुश्किल है। इसकी एक वजह है कि यह पूरी तरह बोरिंग होता है। नए स्वाद का पता नहीं चलता। साथ तमाम स्वादिष्ट आहारों से दूर रहना पड़ता है। यही कारण है कि जब दूसरे आपके बारे में जानते हैं तो आपकी काफी तारीफ करते हैं।


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