गले-के-लिए
सिंघाड़ा गले की कई समस्याओं में राहत पहुंचाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो गले का बैठना, गले की खराश, गले के टांसिल आदि से निजात दिलाने में हमारी मदद करता है। इसके फल के सेवन करने से ज़्यादा अच्छा होगा यदि आप सिंघाड़ा आटा को दूध में मिलाकर सेवन करें तो आपको गले की समस्याओं से जल्द निजात मिल जाएगा।
गर्भवती-महिलाओं-के-लिए
(leucorrhea) नामक बीमारी भी ठीक हो जाती है। इसके अतिरिक्त जिन महिलाओं का गर्भ गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गिर जाता है, उन्हें भी खूब सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए। इसके उपयोग से भूर्ण को पोषण मिलता है और माँ की सेहत भी अच्छी रहती है। सिंघाड़े के सेवन से गर्भ पात नही होता है।
सिंघाड़ा का आटा थायराइड के लिए
सिंघाड़ा शरीर को ऊर्जा देता है। इसलिए इसे व्रत और उपवास के खाने में अलग अलग तरह से शामिल किया जाता है। इसमे आयोडीन (iodine) भी मौजूद होता है जो गले संबंधी रोगों से रक्षा करता है। इस का उपयोग थाइरोइड ग्रंथि को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है और थायराइड जैसी समस्या को दूर रखता है।
पेट-की-समस्या-में
आपको शायद इस बारे में जानकारी ना हो लेकिन एड़ियां फटने की शिकायत शरीर मे मैंगनीज की कमी के कारण होती है। सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जिसके पोषक तत्व मे मैंगनीज पाया जाता है। इसलिए इस फल के सेवन से एड़ियां फटने की समस्या नहीं होती है। साथ ही वाटर चेस्टनट के सेवन से शरीर में रक्त की कमी भी पूरी होती है।
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