Lungs and Respiratory Symptoms and Causes

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Lungs and Respiratory

श्वसन तंत्र या 'श्वासोच्छ्वास तंत्र' में सांस संबंधी अंग जैसे नाक, स्वरयंत्र (Larynx), श्वासनलिका (Wind Pipe) और फुफ्फुस (Lungs) आदि शामिल हैं। शरीर के सभी भागों में गैसों का आदान-प्रदान (gas exchange) इस तंत्र का मुक्य कार्य है।

1) पुरानी खांसी- आमतौर पर खांसी दो से तीन हफ्ते तक होती है। लेकिन अगर किसी को लंबे समय से खांसी है और सीने में दर्द रहता है, तो मामला गंभीर है।
2) खांसी में खून- लंग कैंसर से पीड़ित कुछ मरीजों को बलगम के साथ खून भी आ सकता है।
3) सांस लेने में कठिनाई- कम सांस आना या सांस लेते समय घरघराहट महसूस होना और सीने में दर्द होना भी इस रोग के लक्षण हैं।
4) चेहरे और आवाज में बदलाव- इसके रोगी की आवाज में भारीपन आ जाता है और सांस लेते समय आवाज आती है। इसके अलावा चेहरे, कंधे और गर्दन पर सूजन हो सकती है।
5) रिकरिंग इन्फेक्शन- लंग कैंसर से पीड़ित लोगों को ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन प्रणाली में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को निमोनिया होना भी आम बात है। अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से अस्थमा है और उसे पीलिया, दौरे आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो ये लंग कैंसर के लक्षण होते हैं।
6) हड्डियों में दर्द- कैंसर के बढ़ने से जोड़ों, पीठ, कमर और शरीर के अन्य भागों में दर्द होना आम है। कई मामलों में हड्डी में फ्रैक्चर भी हो सकता है।
7) न्यूरोलॉजीकल लक्षण- कैंसर सेल्स का नर्वस सिस्टम की और जाने से न्यूरोलॉजीकल फंक्शन में बदलाव आ सकता है। इससे सिरदर्द, चक्कर आना, दौरे आना और पैर व कंधे में अकड़न हो सकती है।
8) शरीर में सूजन- बीमारी के बाद के लक्षणों में लिम्फ नोड्स में कैंसर के फैलने से गर्दन के हिस्से और कॉलर बोन के ऊपर और चेहरे पर गांठ हो जाती है।
फेफड़ों की सफाई, चाय पिने से फेफड़ों के मेलानोमा से सुरक्षा होती है।
तंबाकू या किसी भी मादक पदार्थों का सेवन न करें। धुम्रपान से फेफड़ों / लंग्स का मेलानोमा तैयार होता है।
फेफड़ों की सफाई, धुम्रपान न करें। परिवार में और कोई धुम्रपान करता हो उनको भी ऐसा करने से रोकें।
कसरत करने से फेफड़ों की कार्य शक्ति बढती है। तेज चलना, दौड़ना, सीडियाँ चढ़ना,तैराकी करना ऐसी कसरतों से फेफड़ों का स्वास्थय बढ़ता है।
स्वस्थ फेफड़े, पोषक मूल्यों से भरपूर आहार लें। अनाज, तंतु से भरे पदार्थ, मछली, मुर्गी ऐसे पदार्थों से फेफड़ें स्वस्थ रहते हैं। ज्यादा पानी पिने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं।
ऐसे पदार्थ न खाएं जिनमे अतिरिक्त चरबी और नमक हो।
फेफड़ों की सफाई, प्रदुषण युक्त वातावरण में काम करने से बचें।

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