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Eating Disorder

जब कोई इंसान बहुत ज्यादा मात्रा या बहुत कम मात्रा मे भोजन खाना शुरू कर देता है तो इसे eating disorder कहा जाता है। eating disorder भी एक तरह का psychological disorder है जिसके बारे मे जानना सभी के लिए बहुत आवश्यक है। इससे प्रभावित व्यक्ति अपने वजन(weight) तथा शारीरिक बनावट के बारे मे बहुत अधिक सोचता है। वे depression का शिकार हो जाते है और दूसरों की presence मे भोजन खाना पसंद नहीं करते। इस तरह की बीमारी विशेषकर महिलाओ और युवा लोगो मे सबसे अधिक देखी जाती है। किशोर लड़कियों और औरतों  में, लड़कों और आदमियो की तुलना मे eating disorder होने की संभावना 10 गुना ज्यादा होती है

इस बीमारी से ग्रसित लोग अपने घर वालो और दोस्तो से अपनी बीमारी के बारे मे छुपाते है जिसकी वजह से उनको heart attack, kidney fail यहा तक की उनकी जान भी जा सकती है। इन लक्षणो से आप आसानी से पता लगा सकते है की आपके किसी परिचित मे लोगो को कही ये बीमारी तो नहीं है।

1 शरीर के भार मे कमी(excessive weight loss)
– कोई बीमारी न होते हुए प्रभावित व्यक्ति का weight तेजी से घटता रहता है। weight मे यह कमी शरीर के कुल भार की 15% तक हो सकती है।
2 मोटापे की भावना(feeling of fat) – इस तरह के लोगो मे मोटापे की भावना बनी रहती है जबकि उनका वजन बिलकुल normal होता है।
3 using diet pills – इस बीमारी से पीड़ित लोग diet pills लेते है और हर कीमत पर अपने शरीर का weight कम करने की कोशिश करते है।
4 excessive exercise – ऐसे लोग ज्यादा से ज्यादा exercise करते है ताकि उनकी calories ज्यादा खर्च हो यहा तक की बीमारी के समय भी exercise करना नहीं छोड़ते।
5 खाना खाने का दिखावा करना – ऐसे लोग खाना खाने का दिखावा भर करते है। खाना खाने से बचने के लिए वे खाने को छुपा या फेंक देते है। या फिर खाना न खाने के लिए बहानेबाजी करते है।


इसका कोई एक उत्तर नही है, इसके कई कारण हो सकते हैं -
 
सामाजिक दबाव (Social Pressure):-

       हमारा आचरण/व्यवहार हमारी सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार बदलता है। जिस समाज में दुबलेपन को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता वहां ईटिंग डिसआर्डर (Eating Disorder) कम पाया जाता है। जहां इसका बहुत महत्व है जैसे बैले स्कूल (Ballet School) वहां यह विकार ज्यादा है। पाश्चात्य सभ्यता में दुबला होना सुन्दरता का प्रतीक है। अखबार और पत्रिकायें आमतौर पर कृत्रिम और आदर्श लोगों की बनावटी सुन्दरता प्रस्तुत करते हैं। कभी न कभी हम सब पतले होने के लिए खाने में परहेज करते हैं और कुछ बहुत ज्यादा डाइटिंग (Dieting) के कारण ऐनोरेक्सिया (Anorexia) के शिकार हो जाते हैं।
 
‘ऑफ’ स्विच ('Off' Switch)की कमी होना:-

       हममें से कुछ लोग उस समय तक ही भूखे रह सकते हैं जब तक हमारा शरीर दुबारा खाने के लिए संकेत नहीं करता। एनोरेक्सिया (Anorexia) से ग्रसित कुछ लोगों में इस प्रकार का संकेत करने वाला ‘स्विच’ नहीं होता जिसके कारण वह अपना वजन बहुत समय तक बहुत कम रख सकते हैं।
 
संयम/नियंत्रण (Control) :-
परहेज (Dieting) करना बहुत संतोषजनक हो सकता है। जब मशीन हमें वजन में कुछ कमी दिखाती है तो हममें से कुछ लोगों को खुशी महसूस होती है जैसे कि कोई बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली हो। इस तरह अपनी इच्छाशक्ति को साफ-साफ देखना हमें बहुत अच्छा महसूस कराता है। आपको ऐसा महसूस होता है कि जैसे वजन ही जीवन का ऐसा भाग है जिस पर आपका नियंत्रण है।
 
यौवन (Puberty):-
उम्र बढ़ने से शरीर में होने वाले परिवर्तन ऐनोरेक्सिया से कुछ हद तक कम हो सकते हैं, जैसे कि पुरूषों में चेहरे और जघन के बाल, स्त्रियों में स्तन का विकास और मासिक धर्म। प्रौढ़ होने की अपेक्षा खास तौर पर यौन सम्बंधित अपेक्षाओं को हरा सकता है।
 
परिवार:-
परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ भोजन करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। खाना ग्रहण करना आनन्द भी देता है और मना कर देना कुछ लोगों को नाराज कर देता है। यह खासकर परिवार के सदस्यों के अंर्तगत ही होता है। आप अपनी भावनाओं/नाराजगी को जताने के लिए खाने को मना कर देते हैं और ‘मै खाना नहीं खाऊंगा’ या ‘मुझे भूख नही है’ कहकर परिवार में अपना महत्व दर्शाते हैं।
 
अवसाद (Depression):-
हममें से ज्यादातर लोग परेशान होने पर अधिक खाते हैं या फिर जब ऊब रहे हों। ऐनोरेक्सिया के रोगी अक्सर दुखी या निराश हो जाते हैं और शायद अपने दुख या निराशा से निजात पाने के लिए हर समय कुछ न कुछ खाते रहते है। दुर्भाग्यवश, उल्टियां करने से और विरेचक औषधियों के प्रयोग से कहीं ज्यादा उदासी या निराशा महसूस होती है।
 
हीनभावना (Low self esteem) :-
एनोरेक्सिया और बूलीमिया से ग्रसित ज्यादातर लोग अपने बारे में अच्छा नहीं सोचते और दूसरों की तुलना में अपने को कम पाते हैं। इन लोगों के लिए वजन कम करना एक उपलब्धि और आत्म मूल्य की भावना को बढ़ाता है।
 
भावात्मक विपत्ति (Emotional Distress):-
परिस्थितियां बदलने पर या कुछ बुरा होने पर हम सबकी प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। एनोरेक्सिया (Anorexia) और बूलीमिया (Bulimia) से सम्बंधित हैं -
जीवन की कठिनाइयां।
यौन उत्पीड़न।
शारीरिक बीमारी।
परेशान कर देने वाली घटनाएं - मृत्यु या सम्बंध टूटना।
 महत्वपूर्ण घटनाएं - विवाह या घर छोड़ना।

खाने का नियमित समय निर्धारित करें - नाश्ता, दोपहर का खाना, रात का खाना। यदि आपका वजन बहुत कम है तो सुबह, दोपहर, शाम कुछ नाश्ता लें।
खाने का एक स्वास्थ्यवर्धक तरीका सोचें। यदि आप नाश्ता नही करना चाहते तो भी नाश्ते के समय खाने की मेज पर बैठें और एक गिलास पानी पीयें। जब इसकी आदत हो जाये तो बहुत थोड़ा सा खाने को लें चाहे आधा टोस्ट ही हो परन्तु ऐसा रोज करें।
एक डायरी रखें जिसमें आपने क्या खाया, कब खाया, आपके प्रतिदिन के अनुभव और विचार के बारे में लिखें। इन विचारों और खाने के आपसी सम्बन्ध की आप तुलना कर सकते हैं और आप देख सकते हैं कि आपके खाने और उस दिन के विचारों, भावनाओं में क्या कुछ सम्बन्ध है?
आप क्या खा रहे हैं और क्या नही खा रहे हैं इसके लिए हमेशा खुद से और दूसरों से भी ईमानदार रहे ।
अपने आपको याद दिलाते रहे कि हमेशा आपको सफल नहीं होना है कभी-कभी नाकाम भी हो सकते हैं।
अपने आपको याद दिलायें कि यदि आप अधिक वजन घटाते हैं तो आप ज्यादा दुखी और बेचैन रहेंगे।


दो सूची बनायें - एक में खाने की गड़बड़ी से आपको क्या प्राप्त हुआ, दूसरा आपने खाने में गड़बड़ी से क्या खोया। स्वयं बनायी गयी सूची आपके लिए फायदेमंद होगी।                 
अपने शरीर के प्रति सहानुभूति रखें, उसे सजा न दें।
यह जानें कि आपका सही वजन क्या होना चाहिए ओर उसे समझें।
दूसरे लोगों की इस बीमारी से उभरने और स्वास्थ्य लाभ की कहानियां पढ़ें। ये आप को इंटरनेट पर मिल जायेंगी।
एक स्वयं सहायक समूह में शामिल हों। आपका चिकित्सक आपको कोई नाम बता सकता है या आप किसी भोजन विकार एसोसियेशन से संपर्क कर सकते हैं।
उन वेबसाइट्स (Websites) से बचें जो वजन कम करने के लिए उत्साहित करें और बहुत कम वजन के लिए प्रेरित करें। इससे आपके स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचता है और जब आप बीमार हो जाते हैं तो ये आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते।


http://www.rcpsych.ac.uk
http://whatsknowledge.com
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