खाने का नियमित समय निर्धारित करें - नाश्ता, दोपहर का खाना, रात का खाना। यदि आपका वजन बहुत कम है तो सुबह, दोपहर, शाम कुछ नाश्ता लें।
खाने का एक स्वास्थ्यवर्धक तरीका सोचें। यदि आप नाश्ता नही करना चाहते तो भी नाश्ते के समय खाने की मेज पर बैठें और एक गिलास पानी पीयें। जब इसकी आदत हो जाये तो बहुत थोड़ा सा खाने को लें चाहे आधा टोस्ट ही हो परन्तु ऐसा रोज करें।
एक डायरी रखें जिसमें आपने क्या खाया, कब खाया, आपके प्रतिदिन के अनुभव और विचार के बारे में लिखें। इन विचारों और खाने के आपसी सम्बन्ध की आप तुलना कर सकते हैं और आप देख सकते हैं कि आपके खाने और उस दिन के विचारों, भावनाओं में क्या कुछ सम्बन्ध है?
आप क्या खा रहे हैं और क्या नही खा रहे हैं इसके लिए हमेशा खुद से और दूसरों से भी ईमानदार रहे ।
अपने आपको याद दिलाते रहे कि हमेशा आपको सफल नहीं होना है कभी-कभी नाकाम भी हो सकते हैं।
अपने आपको याद दिलायें कि यदि आप अधिक वजन घटाते हैं तो आप ज्यादा दुखी और बेचैन रहेंगे।
दो सूची बनायें - एक में खाने की गड़बड़ी से आपको क्या प्राप्त हुआ, दूसरा आपने खाने में गड़बड़ी से क्या खोया। स्वयं बनायी गयी सूची आपके लिए फायदेमंद होगी।
अपने शरीर के प्रति सहानुभूति रखें, उसे सजा न दें।
यह जानें कि आपका सही वजन क्या होना चाहिए ओर उसे समझें।
दूसरे लोगों की इस बीमारी से उभरने और स्वास्थ्य लाभ की कहानियां पढ़ें। ये आप को इंटरनेट पर मिल जायेंगी।
एक स्वयं सहायक समूह में शामिल हों। आपका चिकित्सक आपको कोई नाम बता सकता है या आप किसी भोजन विकार एसोसियेशन से संपर्क कर सकते हैं।
उन वेबसाइट्स (Websites) से बचें जो वजन कम करने के लिए उत्साहित करें और बहुत कम वजन के लिए प्रेरित करें। इससे आपके स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचता है और जब आप बीमार हो जाते हैं तो ये आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते।
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