45 मिनट का प्राणायाम लंग्‍स केंसर में देगा रिलिफ

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प्राणायाम का अभ्‍यास करने से शरीर में ऑक्‍सीजन प्रॉपर तरीके से पहुंचती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है, शारीरिक व मानसिक क्षमता बढती है।

कपालभाति की विधि

एक मैट पर सीधे बैठे और फिर पदमासन की स्थिति में आ जाएं। हाथों को आकाश की तरफ रखते हुए सांस भरे। अब पेट को भीतर की और संकुचित करते हुए सांस को बाहर छोडे। इस क्रिया को लगातार करें। कपालभाति में प्रत्‍येक सेकण्‍ड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोडने के लिए ही प्रयास करना होता है। सांस छोडने के बाद सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किए सामान्‍य रूप से अन्‍दर आने दें। थकान महसूस होने पर बीच-बीच में रूककर विश्राम अवश्‍य करते रहें। 

लाभ-

मानसिक तनाव, दमा, कफ फेंफडों की बीमारी को दूर करने में सहायक है! आंतो की कमजोरी दूर करने के लिए भी लाभदायी है। पेट के रोगों में राहत मिलती है। 

सावधानी-

उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग व तेज कमर दर्द होने पर न करें।


भस्त्रिका प्राणायाम की विधि

भस्त्रिका प्राणायाम पदमासन या सुखासन में बैठ कर करें। सिर, गला, पीठ तथा मेरूदण्‍ड सीधे हो। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय मुंह बन्‍द रखें। दोनो नासिकों छिद्रों से एक गति से पूरी सांस अन्‍दर लें। पूरी सांस अन्‍दर लेने के बाद दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस बाहर निकालें। सांस अन्‍दर लेने और छोडने की गति धौंकनी की तरह तीव्र हो और सांस को पूर्ण रूप से अन्‍दर और बाहर लें और बाहर छोडे। 

लाभ- 

टीबी, कैंसर, व दमा बीमारियों में लाभ मिलता है। इससे फेंफडे भी मजबूत होते है। शरीर की सभी नाडियों की शुद्धि होती है और शरीर में रक्‍त संचार प्रक्रिया ठीक से काम करती है। 

सावधानी-

गर्मी के मौसम में भस्त्रिका प्राणायाम सुबह के समय ही करना चाहिए। गर्भवती महिलाएं हर्निया हदय मिर्गी पथरी अल्‍सर व उच्‍च रक्‍तचाप के रोगी या मस्तिष्‍क संबन्‍धी समस्‍या से ग्रसित लोग इसे न करें।  


अनुलोम विलोम की विधि 

खुली जगह पर मैट या आसन बिछाकर पदमासन या सुखासन की अवस्‍था में बैठे। इसके बाद अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका छिद्र को बंद कर लें और ठीक इसी प्रकार आप अपनी दूसरी नासिका पर भी कर सकते है। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक करें और बाद में इसका अभ्‍यास 10 मिनट तक करें। 

लाभ- 

वात पित के विकार को दूर करता है, फेंफडे मजबूत होते है। नाडियां शुद्ध होती है, और शरीर स्‍वस्‍थ और शक्तिशालि बनता है। शरीर का कोलेस्टेरॉल स्‍तर नियंत्रित रहता है। 

सावधानी- 

कमजोर और एनीमिया से पीडित व्‍यक्ति को यह प्राणायाम करने में दिक्‍कत हो सकती है। 


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