जोड़ों के दर्द को 3 भागों में विभाजित करते हैं-
1. ओस्टियों आर्थेराईटिस- उम्र के साथ जोड़ घिसने लगते हैं, इस रोग में रीढ़ की हड्डी, घूटने, नितम्ब की हड्डियां ज्यादा प्रभावित होती है।
2. यूमेटोईड- छोटी अंगुलियों के जोड़, कोहनी, कलाईयां, घूटनों टखनों में दर्द जकड़न के साथ सूजन आ जाती है तथा विकलांगता की स्थति उत्पन्न हो जाती है।
3. गाऊट- इसमें दर्द पैर की अंगुलियों या अंगूठे से शुरू होता है तथा इसका आक्रमण अधिकतर रात्रि को होता है। जब रोग पुराना हो जाता है, तो हड्डियां धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगती है।
गठिया के कारण-
1. जोड़ों में यूरीक एसिड का जमा हो जाना।
2. फ्लोराईट युक्त पानी का सेवन करना।
3. आलसी जीवन व्यतित करना।
4. अधिक प्रोटीन का सेवन करना।
5. अधिक मसाले, दालें, नमक, तली हुई चीजों का ज्यादा सेवन।
6. कब्ज
7. पाचन शक्ति कमजोर होना।
गठिया प्राकृतिक चिकित्सा-
1. युरिक एसिड़ को बाहर निकालने वाले खाद्य पदार्थ पोटेशियम रिच खाद्य पदार्थ का सेवन जैसे लौकी, पत्ता गोभी, तरबूज, खीरा का ज्यूस।
2. विटामिन-सी युक्त फलों का ज्यूस जैसे आंवला, संतरा।
3. नारियल पानी।
4. कच्चे आलू का रस।
5. अंजीर, मुन्नका, दाना मेथी।
6. तांबे के बर्तन का पानी।
7. लहसून।
8. अदरक तथा तुलसी का रस।
9. सूर्य की किरणों से किया हुआ हरी बोतल का रिचार्ज पानी पीने के लिए।
10. सूर्य की किरणों से किया हुआ हरी व लाल बोतल का रिचार्ज तेल मालिश हेतु।
11. सूर्य की लाल किरणों की रोशनी का सेक
उपवास चिकित्सा-
प्रथम दिन- रोगी का बल देखकर केवल गर्म पानी का प्रयोग करें।
दूसरे दिन- दाल का पानी
तीसरे दिन- दाल का सेवन
चौथे दिन- साठी चावल की खिचड़ी तथा उसी रात एरण्ड स्नेह का सेवन इनके साथ रूक्ष सेक करते हैं
अन्य प्राकृतिक चिकित्सा-
_ कटी स्नान, मेहन स्नान, धूप स्नान, भाप स्नान
_ प्रवाहित अंग पर गर्म पट्टी, मिट्टी पट्टी,
_ गर्म-ठण्डी सिकाई
_ नारियल व सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से अकड़न दूर हो जाती है।
_ हार सिंगार की चार-पांच पत्तियों को पीसकर 1 गिलास पानी में उबालकर सुबह-शाम 15 दिन पीने को दें।
योग चिकित्सा-
_ पद्मासन
_ वज्रासन
_ प्राणायाम
_ गोमुखासन
_ सिंहासन
_ भुजगंसन
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