लीवर सिरोसिस के कारण-
1. विषेला प्रभाव।
2. नियमित रूप से शराब का सेवन।
3. मलेरिया,सिफलिस अन्य संक्रामक रोग।
4. विषाक्त द्रव्यों के खाने से।
5. प्लीहा के रोगग्रस्त होने से।
6. गन्दा पानी ,दूषित मांस के सेवन से।
7. ज्यादा क्लोरिन युक्त पानी के सेवन से।
8. विटामिन बी की कमी से।
9. एन्टीबायोटिक के अधिक सेवन से
लीवर सिरोसिस के लक्षण-
1. प्रारंभ में यकृत के आकार में वृद्धि हो सकती है।
2. कुछ समय बाद यकृत छोटा व कठिन हो जाता है।
3. यकृत के प्रष्ठ पर गांठे हो जाती है जिससे भारीपन व बेचेनी होती है।
4. भूख कम लगाना।
5. प्रातः कालीन उल्टी ,मांसपेसियो में दर्द ,भोजन के बाद सिरदर्द आदि।
6. गालो पर बारीक़ सिराय फूल जाती है।
7. शरीर पिला पड जाता है।
8. कभी-कभी खून की उल्टी हो सकती है।
9. अगर यह रोग बच्चो में होता है तो पेट बढ़ जाता है तथा बच्चा कंकाल जैसा दिखता है।
10. मांसपेसियां क्षीण हो जाती है।
11. पेट में पानी भर जाता है
लीवर सिरोसिस में आहार-
1. प्रोटीन की आधिकता वाले खाद्य।
2. चिकनाई युक्त आहार नहीं दे।
3. दूध मलाई हटाकर देना चाहिये।
4. सुपाच्य आहार देना चाहिय।
5. मधपान बंद कर देना चाहिये।
6. नमक कम या बन्द कर देना चाहिये
नारियल पानी,गन्ने का रस, मुली का ज्यूस,निम्बू पानी,सब्जियों का ज्यूस,आवंला अंकुरित डाले, गाजर का सूप,मुलहठी को पानी में उबालकर पियें। लीवर को सबसे ज्यादा विषेले पदार्थ व वायरस प्रभावित करते है इसलिय रोगी का खून साफ होना जरुरी है ताकि लीवर में जमे दूषित दोष नष्ट हो
1. सुबह उठकर खुली हवा में गहरी सांसे ले।
2. पुरे शरीर पर तेल मालिश करे।
3. मिटटी का लेप करे।
4. वाष्प स्नान करे।
5. सूर्य स्नान करे।
6. खाने में जेतुन का तेल काम में ले।
7. प्याज खाने से सिरोसिस लीवर में लाभ पंहुचता है।
8. गुणगुने पानी में शहद ले।
9. अलसी का सेवन व जामुन का सेवन।
10. सेब का सिरका लीवर में विषेले पदार्थो को बाहर निकलता है
Comments