पेट के फैट के लिए पश्चिमोत्तानासन
1.दोनों पैर एक साथ लंबाई में फैलाकर सीधा बैठें।
2.अपने दोनों हाथों को नितंब या कूल्हों के बगल में रखें।
3.श्वास लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं। ध्यान रहे आपके दोनों हाथ सिर के ऊपर बिलकुल सीधे उठे हों।
4.श्वास छोड़ते हुए कमर के निचले भाग को आगे की ओर झुकाएं और दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों या उसके सामने की ज़मीन को टच करें। ध्यान रहे यहां श्वास की गति सामान्य होनी चाहिए। यही प्रक्रिया 3-4 बार दोहराएं।
लाभ : इससे पेट पर जमा अतिरिक्त फैट कम हो जाता है, साथ ही पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
सावधानी : अगर आंतों में अल्सर और कमर में दर्द की समस्या हो तो यह आसन न करें।
कमर को बनाएं लचीला उष्ट्रासन
1.पैरों को लंबाई में फैलाकर बैठें। दायें पैर के घुटने को मोड़ते हुए, दायीं एड़ी को दायें नितंब (हिप) के नीचे रखें। इसी तरह बायें पैर को मोड़ते हुए बायीं एड़ी को बायें नितंब के नीचे रखें।
2.घुटनों के बल खड़े हो जाएं। ध्यान रहे कि दोनों घुटने और पैरों के पंजे समान दूरी पर खुले हों।
3.लंबी सांस लें और श्वास छोड़ते हुए कमर के ऊपरी हिस्से को पीछे की ओर ले जाएं, दायीं हथेली से दायीं एड़ी को और बायीं हथेली से बायीं एडी को पकडऩे की कोशिश करें। ध्यान रहे, पीछे झुकते समय गर्दन को झटका न लगे।
4.15 सेकंड तक सामान्य श्वास की गति पर स्थिर रहें। इसी अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।
लाभ : यह आसन पेट और कमर को लचीला बनता है। पैनक्रियाज़ की सक्रियता बढ़ाकर शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है। फेफड़ों और आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है।
सावधानी : हाई ब्लडप्रेशर और स्लिप डिस्क के मरीज़ों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
एक्टिव रहना है तो करें नौकासन
1.सीधा लेट जाएं। एड़ी और दोनों पंजे आपस में जुड़े हों। गहरी सांस भरते हुए पैरों को ऊपर की ओर 45 डिग्री के एंगल तक उठाएं।
2.दोनों हाथों को घुटनों की सीध में स्थापित करें और धड़ को भी धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
3.सांस छोड़ते हुए उसी अवस्था में वापस आएं। यह प्रक्रिया 5 बार दोहराएं।
लाभ : यह आसन वज़न घटा कर शरीर को फुर्तीला बनाता है। इससे श्वसन तंत्र भी मज़बूत होता है।
सावधानियां : अगर बैकबोन की समस्या हो तो यह आसन न करें।
साइटिका के लिए उत्तानपाद आसन
1.सीधा लेट जाएं। दोनों हाथ सीधा रखें।
2.गहरी सांस भरते हुए, पैरों को बिना मोड़े 30 डिग्री के कोण तक ऊपर उठाएं।
3.धीरे-धीरे सांस लें और कुछ सेकंड के लिए इसी मुद्रा में स्थिर रहें।
4.गहरी सांस छोड़ते हुए अपने पैर नीचे लाएं। यह क्रिया 3 से 5 बार दोहराएं।
लाभ : यह पेट और पैरों की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है। इससे पाचनतंत्र दुरुस्त रहता है।
सावधानियां : अगर कमर दर्द या साइटिका हो तो यह आसन न करें। गर्भवती स्त्रियां भी इसे न करें।
भुजंगासान बनाए शरीर को सुडौल
1.पेट के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को छाती के बगल में रखें।
2.श्वास लेते हुए धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं। इस दौरान आपका शरीर केवल नाभि तक ही उठना चाहिए।
3.सामान्य श्वास के साथ पहले की अवस्था में वापस लेट जाएं। इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं।
लाभ : यह पेट के आसपास जमे फैट को दूर कर शरीर को सुडौल बनाने में मददगार होता है।
सावधानियां : हर्निया और अल्सर से पीडि़त लोगों और गर्भवती स्त्रियों को यह आसन कभी नहीं करना चाहिए।
लचीलेपन के लिए शलभासन
1.पेट के बल लेट जाएं, दोनों हाथों की मुट्ठी बनाकर थाइज़ के नीचे रखें।
2.एडिय़ों को आपस में जोड़ लें।
3.छाती और पैरों को सीधा रखते हुए उन्हें धीरे-धीरे ज़मीन से ऊपर उठाएं।
4.इस दौरान नाभि के क्षेत्र पर शरीर को संतुलित करें और सामान्य श्वास की गति के साथ कुछ सेकंड के लिए शरीर को स्थिर रखें।
फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौटें। यही प्रक्रिया 3 से 5 बार दोहराएं।
लाभ : इससे शरीर में लचीलापन आता है और रक्त संचार भी ठीक रहता है।
सावधानियां : अगर हाई ब्लडप्रेशर या दिल की बीमारी हो तो यह आसन न करें।