1. सर्पासन करने की विधि
• किसी समतल और साफ स्थान पर कंबल या चटाई बिछा लीजिए। उसके बाद पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिलाते हुए बिल्कुल सीधा रखें।
• पैरों के तलवें ऊपर की ओर तथा पैरों के अंगूठे आपस में मिलाकर रखें। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर दोनों हथेलियों को छाती के बगल में फर्श पर टिका कर रखें।
• अब गहरी सांस लेकर सिर को ऊपर उठाएं, फिर गर्दन को ऊपर की ओर उठाएं, सीने को और फिर पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठाने का प्रयास कीजिए।
• सिर से नाभि तक का शरीर ही ऊपर उठना चाहिए तथा नाभि के नीचे से पैरों की अंगुलियों तक का भाग जमीन से समान रूप से सटा रहना चाहिए।
• फिर गर्दन को तानते हुए सिर को धीरे-धीरे अधिक से अधिक पीछे की ओर उठाने की कोशिश कीजिए। आखें ऊपर की तरफ होनी चाहिए।
• सर्पासन पूरा तब होगा जब आप के शरीर का कमर से ऊपर का भाग सिर, गर्दन और सीना सांप के फन के तरह ऊंचा उठ जाएंगे।
• पीठ पर नीचे की ओर कूल्हे और कमर के जोड़ पर ज्यादा खिंचाव या जोर मालूम पडऩे लगेगा। ऐसी स्थिति में ऊपर की तरफ देखते हुए कुछ सेकेंड तक सांस को रोकिए।
• इसके बाद सांस छोड़ते हुए पहले नाभि के ऊपर का भाग, फिर सीने को और माथे को जमीन पर टिकाएं तथा बाएं गाल को जमीन पर लगाते हुए शरीर को ढीला छोड़ दीजिए।
• इस स्थिति में कुछ देर रुककर दोबारा इस क्रिया को कीजिए। सर्पासन को शुरूआत में 3 बार कीजिए और बाद में इसको बढाकर 5 बार कीजिए। इस आसन को करने से पहले सिर को पीछे ले जाकर 2 से 3 सेकेंड तक रुकिए और इसके अभ्यास के बाद 10 से 15 सेकेंड तक रुकिए।
2. सर्पासन के अभ्यास के वक्त सावधानियां
• हर्निया के रोगी तथा गर्भवती महिलाओं को को यह आसन नहीं करना चाहिए।
• इसके अलावा पेट में घाव होने पर, अंडकोष वृद्धि में, मेरूदंड से पीडि़त होने पर अल्सर होने पर तथा कोलाइटिस वाले रोगियों को भी यह आसन नही करना चाहिए।
• सर्पासन थोड़ा कठिन आसन है अत: इसे करते वक्त जल्दबाजी ना करें।
3. सर्पासन के अभ्यास से रोगों में लाभ
• सर्पासन करने से रीढ़ की हड्डी का तनाव दूर हो जाता है और रीढ़ से संबंधित अन्य परेशानियों में भी फायदा होता है।
• सर्पासन बेडौल कमर को पतली तथा सुडौल व आकर्षक बनाता है।
• यह आसन सीना चौड़ा करता है, और इसे रोज़ाना करने से लंबाई बढती है।
• सर्पासन मोटापे को कम करता है।
• सर्पासन करने से शरीर की थकावट भी दूर हो जाती है।
• इस आसन को करने से शरीर सुंदर तथा कान्तिमय बनता है।
• इस आसन से पेट संबंधी कई गंभीर बीमारियों से भी राहत मिलती है।
• महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, मासिक धर्म का कष्ट के साथ आने के लिए फायदेमंद होता है।
• यह आसन गर्भाशय और पेट के अनेक विकारों को दूर करता है।