आज हम आपको इस लेख में बताएँगे तुलसी का धार्मिक महत्त्व, तुलसी खाने के लाभ और नुकसान।
1) तुलसी के पौधे का आयुर्वेदिक और पारंपरिक महत्व
तुलसी का पौधा हमारी भारतीय मान्यताओं में पूजनीय होने के साथ साथ ही अत्यंत औषधीय,आयुर्वेदीय गुणों से भरपूर पौधा है जिसका घर-घर में बहुत ही महत्व है। भारतीय संस्कृति का अनुकरण करने वाले प्रत्येक घर में यह पौधा पाया जाता है और यह जीवनदायिनी,जीवनरक्षक जड़ी-बूटी अमृत के सामान गुण रखने वाली है जिसका छोटे से लेकर बड़े बड़े रोगों को ठीक करने में महत्वपूर्ण योगदान है।
2) तुलसी के पोषण तत्व क्या है
तुलसी के पौधे में अत्यंत मात्रा में विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं जो तुलसी के लाभ को प्रदर्शित करते हैं। तुलसी के पत्तों में विटामिन सी, आयरन(लौह), जिंक, कैल्शियम, क्लोरोफिल जैसे तत्त्व तथा सिट्रिक, मैलिक तथा टारट्रिक प्रकार के एसिड पाए जाते हैं।
3) तुलसी के आयुर्वेदिक गुण क्या हैं
तुलसी एक गर्म तासीर का आयुर्वेदिक पौधा है जो विभिन्न रोगों का निदान करने में सक्षम है। इसकी पत्तियों में एंटी-फंगल, एंटी-बेक्टीरियल गुण पाया जाता है जो बेक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम होती है। इसकी गर्म तासीर के कारण ये सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों में विशेष तौर पर उपयोग की जाती है।
4) तुलसी के सेवन से क्या लाभ है
तुलसी धार्मिक महत्व का पौधा होने के साथ साथ ही अपने भीतर अनेक गुणों को समाहित किये हुए है। तुलसी के पत्ते का सेवन करने से अनेक तरह की बीमारियों में आराम मिलता है तथा तुलसी के रस का सेवन करने तथा इसका अर्क पीने से रोगमुक्त होने के साथ साथ ही प्रति रक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम ) मज़बूत होती होती है।
सर्दी-जुकाम - सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों में तुलसी के पत्तों का सेवन कारगर इलाज साबित होता है।
बुखार से छुटकारा - तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बुखार, डेंगू, मलेरिया, वायरल जैसी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।
टेंशन से छुटकारा - तुलसी के पत्तों को चबाने से तनाव दूर होता है। तुलसी के पत्ते कार्टिसोल नामक हार्मोन युक्त होते हैं जो स्ट्रेस को समाप्त करने में मदद करते हैं।
श्वसन सम्बन्धी परेशानियों में - तुलसी के पत्तों में इम्युनिटी बूस्टर गुण पाया जाता है जो फेंफड़ो की क्षमता को बढाती है, शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढाती है इससे सांस से सम्बम्न्धित तकलीफ में आराम मिलता है तथा अस्थमा जैसी बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
मुंह से बदबू आने की समस्या में - इस समस्या में तुलसी के पत्तों का चबा चबा कर सेवन करना एक कारगर उपाय साबित होता है क्योंकि तुलसी के पत्तों का तीखा एवं सुगंधपूर्ण स्वाद मुख को ताजगी से भर देता है।
त्वचा सम्बन्धी विकारों में - तुलसी के पत्तों में एंटी बेक्टीरियल गुण पाए जाते है जो त्वचा सम्बन्धी रोगों, मुहासों आदि को ठीक करने में लाभकारी होते हैं। इसके लिए तुलसी के पत्तों का रस निकल के उनका लेप लगाया जाता है जो घावों, मुहासों आदि को शीघ्रता से ठीक कर देते हैं।
पथरी की समस्या में - तुलसी में मूत्रवर्धक गुण पाए जाते है जो शरीर में से यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में सहायता करते हैं। यूरिन आने में वृद्धि के साथ-साथ पथरी भी धीरे धीरे गल कर समाप्त सी हो जाती है ।
नेत्र रोगों में उपयोगी - नेत्र सम्बन्धी रोगों में तुलसी का उपयोग बेहद लाभदायक मन गया है। इसमें पाए जाने वाल तत्व नेत्र ज्योति की क्षमता में वृध्दि करने में सक्षम होते हैं।तुलसी के अर्क का प्रयोग हमें तुलसी ड्रॉप के फायदे बताता है।
वजन घटाने और याददाश्त बढ़ने में उपयोगी - तुलसी में पाए जाने वाले एंटी स्ट्रेस हार्मोन्स के कारण शरीर मानसिक रूप से मज़बूत होता है और मानसिक तनाव के न होने से बौद्धिक क्षमताओं का विकास होता है। साथ ही मानसिक तरोताजगी मोटापा तथा वजन कम करने में मददगार साबित होती है।
5) बेहतर परिणाम के लिए तुलसी का सेवन कैसे करें
तुलसी का सेवन एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है क्यूंकि इसका उचित उपयोग इसे लाभकारी बनाता है तथा इसका अधिक या अनुचित उपयोग नुकसानदायक भी हो सकता है।
तुलसी के पत्तों का सेवन प्रातः खाली पेट किया जाना चाहिए और उनकी मात्रा 4-5 पत्ते हो सकती है।
तुलसी के पत्तों को अथवा पत्तियों के पाउडर को जल में उबालकर उनका सेवन किया जा सकता है।
तुलसी के पत्तों को अदरक के साथ चाय में डालकर पीने से सिरदर्द जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता है।
तुलसी के अर्क अथवा तुलसी ड्राप को गर्म जल अथवा चाय, दूध इत्यादि में 4-5 बूंदे डालकर सेवन करने से इम्युनिटी बढती है।
इसकी तासीर गर्म होती है अतः इसका सेवन विशेष तौर पर ठन्डे मौसम में किया जाना चाहिए।
6) तुलसी के अधिक उपयोग से होने वाले नुकसान
तुलसी का पौधा अनेक गुणों से भरपूर है लेकिन इसका अधिक उपयोग भी नुकसान दायक हो सकता है।
यह गर्म तासीर का पौधा है जिसका अधिक सेवन पेट और छाती में जलन जैसी शिकायत उत्पन्न कर सकता है।
गर्भावस्था में इसका सेवन गर्भाशय के संकुचन का कारण बन सकता है जो हानिकारक हो सकता है अतः उस समय तथा स्तनपान करने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
तुलसी का सेवन रक्त को पतला करने में सहायक होता है अतः सर्जरी के समय इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
तुलसी के पत्तों को दांतों से अधिक नहीं चबाना चाहिए तथा चबाने के बाद मुंह पानी से कुल्ला कर लेना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद एसिड तत्त्व दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
तुलसी का सेवन शरीर में रक्त शर्करा को कम करता है अतः मधुमेह से पीड़ित लोगों को इसका सेवन विशेष ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
7) निष्कर्ष
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पौषे से घर में सुख, शांति, खुशहाली आदि छाई रहती है तथा इसके अमृत जड़ी-बूटी जैसे गुणों के कारण ये पूजनीय तथा प्रत्येक घर में पाया जाना वाला पौधा है अतः इसका उपयोग कर घर में ही विभिन्न रोगों का इलाज किया जा सकता है और स्वस्थ जीवन प्राप्त किया जा सकता है।
तुलसी भारत में पवित्र पौधे के रूप में प्रसिद्ध है। यह झाड़ीनुमा पौधा है जिसमें शाखाएं खास तरह की सुगंध वाली होती है। वैदिक युग से इस पौधे के औषधीय गुणों की बात की जाती रही है। इस पौधे की पत्तियां और बीज दोनों ही औषधीय गुण रखते हैं इसलिए तुलसी के बीज का महत्त्व इसकी पत्तियों के समान ही होता है। तुलसी के पौधे की पत्तियां विषाणु द्वारा पैदा की जाने वाले कई तरह के वायरल बुखार में उपयोगी होती है।
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