दातुन करने के इन फायदों को जानने के बाद दातुन ही करेंगे आप

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दातुन करने के इन फायदों को जानने के बाद दातुन ही करेंगे आप
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KayaWell Expert
ब्रश से भी पहले से दांतों को साफ रखने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले दातुन के फायदों के बारे में जानकर आप शायद टूथब्रश की बजया दोबारा दातुन का ही इस्तेमाल करने लगेंगे।

1.दातुन के फायदे
आज लगभग हर घर में दांत साफ करने के लिए लोग टूथब्रश का ही इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन ब्रश से भी पहले से दांतों को साफ रखने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले दातुन के फायदों के बारे में जानकर आप शायद टूथब्रश की बजया दोबारा दातुन का ही इस्तेमाल करने लगेंगे। तो चलिये जानें की भला ऐसा क्या है कि पुराने लोग आज भी दातुन को ही वरीयता देते हैं। 

2.धार्मिक दृष्टि से दातुन का महत्व
दातुन न केवल सेहत व बौद्घिक क्षमता के लिए बेहतर है बल्कि धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है। यही वजह है कि व्रत, त्यौहार वाले दिन बहुत से लोग ब्रश की बजाय दातुन से दांत साफ करते हैं। धार्मिक दृष्टि से दातुन का महत्व इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि दातुन जूठा नहीं होता जबकि टुथब्रश हर दिन नया प्रयोग नहीं किया जा सकता है। 

3.आयुर्वेद और दातुन
आयुर्वेद में वर्णित दंतधावन विधि में अर्क, न्यग्रोध, खदिर, करज्ज, नीम, बबूल आदि पेड़ों की डंडी की दातुन करने की सलाह दी जाती है। दरअसल आयुर्वेद में मुख प्रदेश को कफ का आधिक्य स्थान कहा जाता है। ऐसे में सुबह का काल भी कफ प्रधान होता है व पूरी रात सोने के कारण मुह के अंदर कफ जमा हो जाता है। इसलिए शास्‍त्रों में कफ दोष का नाश करने वाले कटु, तिक्त एवं कसैला प्रधान रस वाली दातुन का प्रयोग करने को कहा जाता है।  

4.टूथपेस्टों से बेहतर
आज-कल इस्तेमाल किये जाने वाल टूथपेस्टों में से काफी में नमक एवं अम्ल रस भी मिलाया जाता है। अम्ल या लवण रस दांतों को तो साफ कर देते हैं, लेकिन यह रस हमारे मसूड़ों को क्षति पहुंचा सकते हैं। जबकि दातुन में ऐसी कोई समस्या नहीं होती है। 

5.दांत ही नहीं पेट के लिये भी लाभदायक
जब आप दातुन बनाने के लिए दांतों से टहनी को चबाते हैं तो उस समय बनने वाले रस को थूकने के बजाए निगल लें। इससे आंतों की सफाई होती है और रक्त भी साफ होता है, साथ ही त्वचा संबंधी रोग भी नहीं होते हैं।

6.नीम
आयुर्वेद में बताया गया है कि नीम का दातुन केवल दांतों को ही स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि इसे करने से पाचन क्रिया ठीक होती है और चेहरे पर भी निखार आता है। यही वजह है कि आज भी बहुत से पुराने लोग नियमित नीम की दातुन का ही इस्तेमाल करते हैं।

7.बेर
आयुर्वेद के अनुसार बेर के दातुन से नियमित दांत साफ करने पर आवज साफ और मधुर होती है। इसलिए जो लोग वाणी से संबंधित क्षेत्रों में रुची रखते हैं या इस क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें बेर के दातुन का नियमित इस्तेमाल करना चाहिए।

8.बबूल
आयुर्वेद में उल्लेख है कि दातुन न सिर्फ आपके दांतों को चमकाता है बल्कि आपकी बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को भी बढ़ता है। मसूड़ों और दांतों की मजबूती के लिए बबूल के दातुन से दांत साफ करने चाहिये। ये दांतो और मसूड़ों दोनों को अच्छा रखता है। 

9.कैसे करें दातुन
दातुन को ऊपर के दांतों में ऊपर से नीचे की ओर और नीचे के दांतों में नीचे से ऊपर की ओर करा चाहिये। इससे मसूड़े मजबूत होंगे और पायरिया की समस्या भी नहीं होगी। नीम की दातुन नेचुरल माउथफ्रेशनर का भी काम करती है और इसे करने से मुंह से दुर्गंध नहीं आती। दातुन को आप सुबह पांच मिनट से लेकर 15 मिनट तक किया जा सकता है। 
दांतों को रखना है स्वस्थ और सफेद, तो कभी न खाएं ये 5 चीजें
दांत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। साफ, सफेद और स्वस्थ दांत आपकी मुस्कुराहट में चार चांद लगा देते हैं, वहीं पीले, अस्वस्थ और खराब दांतों के कारण कई बार आपको हंसते-मुस्कुराते या किसी से बात करते हुए शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ता है। खान-पान की ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिनका ज्यादा इस्तेमाल आपके दांतों को खराब कर सकता है। इन आहारों का सेवन जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए और अगर आप इन्हें खाते भी हैं, तो खाने के तुरंत बाद कुल्ला कर लेना चाहिए।

1.कैंडी
बच्चों के साथ-साथ खट्टी-मीठी और चटपटी कैंडी के दीवाने कई बार बड़े भी होते हैं। कुछ कैंडीज दांतों में चिपक जाती हैं और इन्हें छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। खाते हुए आपको कई बार एहसास होता है कि आपको मुंह की सारी कैंडी खत्म हो गई है मगर फिर भी दांतों के कोनों और गड्ढों में और ऊपरी पर्त पर ये मौजूद रहती हैं। इन कैंडीज को ज्यादा खाने से दांत कमजोर हो जाते हैं और पीले होकर धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं। इसलिए अगर आपको अपने और अपने बच्चे के दांतों की चिंता है, तो इन कैंडीज को खाना आज ही बंद कर देना चाहिए।

2.व्हाइट ब्रेड
व्हाइट ब्रेड को सादा खाना भी आपके दांतों के लिए ठीक नहीं है। दरअसल ब्रेड को रिफाइंड मैदे से बनाया जाता है इस कारण इसे खाते समय ये दांतों में चिपकता है और इसके कणों को पूरी तरह छुटाना मुश्किल होता है। इसके अलावा व्हाइट ब्रेड्स एक तरह से कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो खाते ही लार के साथ मिलने पर शुगर में टूटना शुरू कर देते हैं। इस कारण ये दांतों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि ब्रेड को बटर के साथ सेंककर और इसे थोड़ा सा पकाकर खाया जा सकता है मगर फिर भी इसका ज्यादा प्रयोग आपके दांतों और सेहत के लिए बहुत अच्छा नहीं है।

3.कॉफी
कॉफी में एसिडिक गुण होते हैं। आप जब कॉफी पीते हैं तो इससे आपके मुंह का पीएच काफी घट जाता है। अगर आप ज्यादा कॉफी पीते हैं तो इससे दांत कमजोर और खोखले होने लगते हैं। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि कॉफी डार्क ड्रिंक होती है यानि इसे लगातार ज्यादा मात्रा में पीने से दांतों पर एक पर्त बन जाती है। इस पर्त को सामान्य तरीकों से नहीं मिटाया जा सकता है। इसके लिए फिर आपको दंत चिकित्सक की मदद लेनी पड़ती है।

4.कोल्ड ड्रिंक्स
कोल्ड ड्रिंक्स का ज्यादा सेवन भी आपके दांतों और लिवर के स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं है। कोल्ड ड्रिंक्स में बहुत ज्यादा शुगर घुला होता है। इसके अलावा इन्हें कार्बोनेटेड पानी से बनाया जाता है इस कारण ये भी एसिडिक होते हैं। एसिडिक होने के साथ-साथ शुगर घुला होने से ये दांतों को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे दांत कमजोर हो जाते हैं और मसूड़ों से उनकी पकड़ कमजोर होती है। कोल्ड ड्रिंक की एक सिप लेने पर ये कम से कम 20 मिनट तक दांतों को प्रभावित करती रहती है।

5.चिप्स
आलू के पैकेटबंद चिप्स में ढेर सारा स्टार्च होता है। जब आप चिप्स खाते हैं तो इसके कण दांतों के बीच में मौजूद जगहों पर चिपक जाते हैं। स्टार्च होने के कारण ये कण बैक्टीरिया के लिए सबसे अच्छा भोजन होते हैं। ये बैक्टीरिया आपके दांतों को भी नुकसान पहुंचाते हैं और इससे आपके दांत कमजोर होकर सड़ भी सकते हैं। आप जब भी चिप्स खाते हैं उसके बाद अच्छे से कुल्ला जरूर करें, ताकि दांतों में मौजूद ज्यादा से ज्यादा कण निकल जाएं।
बहुत सावधानी से कराएं इन 5 तरह के दांतों का इलाज
अगर आप अपने दांतों की अच्छे से देखभाल नहीं करते तो दांतों एवं मसूडों में होने वाली बीमारियाँ आपके दांतों को समय से पहले खत्म कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर आप इसके इलाज को लेकर सावधानी भी जरूर बरतें।

1.दांतो की देखभाल
अपने दांतों का ख़्याल रखना बेहद ज़रूरी है। नियमित तौर पर दांतों के डॉक्टर (डेन्टिस्ट) से चेकअप करवाना, ब्रश करना और फ्लॉसिंग दांतों की देखभाल में शामिल है।दांत और मुंह की समस्या इस बात का संकेत भी देते हैं कि आपके शरीर में कहीं और कोई समस्या है। बैक्टीरिया कड़ी सतह यानी हमारे दांतो पर चिपकते हैं तो एक अदृश्य सतह, जिसको कि प्लेक कहते हैं, हमारे दांतों के चारों ओर बना देते हैं।

2.दांतो के ट्रीटमेंट मे सावधानी
दांतों की देखभाल करने मे सबसे जरूरी दांतो की बीमारियों के बारे मे आवश्यक जानकारी रखना। अक्सर हम दांतों मे दर्द या कैविटी लगने के कारण डॉक्टर की सलाह पर इलाज करा लेते है। लेकिन ये तरीका सही नहीं है। कई बार ये इलाज अनावश्यक भी होते है। इसके बारे मे जानकारी का अभाव आपको परेशानी मे डाल सकता है। इसलिए अपने इलाज के बारे में पूरी जानकारी जरूर लें। 

3.दांतो की सफाई
स्वस्थ दांतो के लिए उनकी सफाई रखना बहुत जरूरी होता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप जब भी अपने रेगुलर चेकअप के लिए जाए तो दांतों की स्केलिंग करा दें। इससे भी दांत खराब हो जाते है। दांतों पर टार्टर की सफाई के लिए स्केलिंग करानी चाहिए। अगर आपके डॉक्टर स्केलिंग करने के लिए कहते है तो उनसे कहिए कि आपको टार्टर दिखाएं। अगर आपको लगता है कि सफाई की जरूरत है तभी कराएं। दांतो की स्केलिंग साल के अंतर पर ही कराएं।

4.एक्सरे की जरूरत
एक्स रे से मुंह के अंदर की हड्डियां भी दिख जाती हैं। इससे केविटी का पता चल जाता है। एक्स रे निकालने के लिए डेन्टिस्ट आपके मुंह के अंदर एक स्पेशल फिल्म डालकर एक्स रे मशीन का इस्तेमाल करता है। डेंटिस्ट आम तौर पर चार एक्स रे निकालते हैं और आप कुछ ही मिनट में उन्हें देख भी सकते हैं।अगर आप अपने दांतों के डॉक्टर को बार-बार बदलते है तो ज्यादा एक्सरे कराने की संभावना है। ज्यादा एक्सरे से ब्रेन ट्युमर होने का खतरा होता है। 

5.बच्चों को एनेस्थेसिया
बच्चों का इलाज करते समय अक्सर डॉक्टर अक्सर उन्हे एनेस्थेसिया देते है ताकि बच्चों का ज्यादा परेशानी ना हो। लोकल एनेस्थेसिया  मरीज को असहनीय दर्द से बचने के लिए दिया जाता है। लेकिन अगर कोई मेजर ट्रीटमेट ना हो तो कोशिश करे कि बिना एनेस्थेसिया दिये ही उसका इलाज हो।एनेस्थेसिया की अनावश्यक मात्रा कई बार जानलेवा साबित होती है।  एक सफल ऑपरेशन के लिए एक कुशल एनेस्थेसियोलॉजिस्ट का होना आवश्यक है।

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