
याददाश्त बढ़ाने के उपाय और दवा की आवश्यकता आज सभी को है। क्योंकि लगातार काम करने या कई प्रकार के मानसिक तनाव के कारण हमारी याद रखने की क्षमता में कमी आती जा रही है। अगर आप अपने परिजनों या दोस्तों के जन्म दिन, एनिवर्सरी या फोन नं. आदि याद नहीं रख पा रहे हैं। तो सावधान हो जाएं यह आपकी याददाश्त में कमी की ओर इशारा करते हैं। लेकिन आप अपनी कमजोर याददाश्त को बढ़ाने के लिए कई सरल उपाय कर सकते हैं जैसे व्यायाम, अच्छा खाना, तनाव कम करना आदि। इसके अलावा आप याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का भी उपयोग कर सकते हैं। याददाश्त बढ़ाने की दवा से मतलब आपकी रसोई में उपलब्ध सामग्री जिन्हें आप अपने दैनिक आहार के रूप उपयोग कर सकते हैं।
किसी कार्य को करने लिए योजना और उसके क्रियान्वयन का मानसिक दायित्व हमारे दिमाग के ऊपर ही होता है। अगर मस्तिष्क ठीक ढंग से कार्य करता है और तनाव रहित हो तो काम करने का आनंद भी आता है और उसका परिणाम तो सुन्दर होता ही है। दिमाग में बनने वाले हॉर्मोनो के असंतुलन के कारण इसकी शक्ति घट सकती है।
दिमाग की शक्ति बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कई सारे नुस्खे बताये गए हैं। आइये जानते हैं इसके कारण और मेमोरी पॉवर बढ़ाने के उपाय -
आम तौर पर अगर आपके खान पान में पोषक तत्वों की कमी है तो मस्तिष्क की शक्ति कम हो सकती है।
मधुमेह, तनाव, डिप्रेशन आदि कई बीमारियों के कारण भी मेमोरी पॉवर कम होने लगती है, जो आपकी दिमाग की शक्ति को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
शुगर अधिक मात्रा में लेने से, व्यायाम की कमी से भी दिमाग पर विपरीत असर पड़ता है।
किसी प्रकार के नशे, ड्रग्स के सेवन, खानपान में विटामिन बी 1 और B 2 की कमी से मस्तिष्क का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
दिमाग से कमजोर व्यक्ति सुस्त और काम में अनिच्छा रखने वाला हो जाता है। इसके अलावा ये लक्षण हो सकते हैं:
मांसपेशियों की कमजोरी और हाथ-पैरों में अचानक झुनझुनाहट लगना।
लकवे का होना भी दिमाग की कमजोरी का ही एक रूप है।
चक्कर आना और दृष्टि में कमी
तेज सिरदर्द जबकि कोई स्पष्ट कारण नहीं
बेहोशी छाना
ऐसे में मरीज को तुरन्त स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
3) किस उम्र में दिमाग शक्ति कम होने लगती है
व्यक्ति के दिमाग का विकास उसके किशोरवस्था के बाद भी चलता रहता है। एक उम्र के बाद ये विकास रुक जाता है और दिमाग की शक्ति कमजोर होने लगती है। एक शोध के अनुसार 45 साल की उम्र के बाद इंसान का दिमाग कमजोर होने लग जाता है। हालाँकि इसको कई सारे कारक प्रभावित कर सकते हैं।
अगर व्यक्ति की जीवन शैली अच्छी है और भोजन में सभी पोषक तत्व शामिल है और माइंड से जुड़ी हुई एक्सरसाइज करते रहते हैं, तो दिमाग अधिक उम्र में भी सही कार्य करता रहता है। मस्तिष्क के सही कार्य करने के पीछे तनाव रहित जीवन भी है। अगर मानसिक तनाव अधिक है तो दिमाग की शक्ति उम्र से पहले भी कम हो सकती है। इसलिए जरुरी नहीं एक बुजुर्ग व्यक्ति है तो वो मानसिक रूप से कमजोर ही होंगे या एक जवान व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत ही होगा।
हालांकि शोधों के अनुसार सामान्य परिस्थितयों में 60 वर्ष से पूर्व तक व्यक्ति में याद रखने की क्षमता बनी रहती है। कुछ विशेष स्थितियों, जैसे डिमेंसिया की स्थिति में समय से पूर्व ही याद्दाश्त खोने लग जाती है, जो धीरे धीरे गंभीर हो जाती है।
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दिमाग में होने वाले कई हॉर्मोनल असंतुलन का कारण खानपान की कमी भी हो सकती है। दिमाग को शक्तिशाली और मजबूत बनाने के लिए कई सारे तत्व हमारी प्रकृति में मौजूद हैं, जिनका नियमित सेवन दिमाग को तंदरुस्त रखता है। इनका उपयोग याद्दाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा में भी किया जाता है। कौनसे हैं वो फ्रूट्स जानते हैं-
अखरोट - अखरोट की अंदर से बनावट दिमाग की आकृति जैसे ही होती है। इसे मस्तिष्क शक्ति के लिए वरदान माना जाता है। अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड और पॉलीफेनोल्स दोनों से भरपूर है। ये दोनों तत्व तनाव और सूजन से लड़ते हैं, इसलिए अखरोट एक अच्छा ब्रेन फ़ूड है।
अलसी और कद्दू के बीज - जिंक, मैग्नीशियम, विटामिन बी से भरपूर होते हैं। इनको खाने से मेमोरी पॉवर बढ़ती है। तार्किक क्षमता का विकास होता है।
काजू - काजू एक शानदार और उपयोगी ड्राई फ्रूट है जो याद रखने की क्षमता को बढ़ता है। इसमें पाए जाने वाले तत्व पॉली-सैचुरेटेड और मोनो-सैचुरेटेड फैट्स दिमाग की कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाते हैं।
बादाम - बादाम हमारे भोजन दैनिक रूप से हिस्सा होना चाहिए। एक मुट्ठी भर बादाम या कम से कम 5 बादाम बच्चों को प्रतिदिन हमें देना चाहिए। ये उनके मस्तिष्क के विकास के आवश्यक है। बादाम एसिटाइलकोलाइन के लेवल को बढ़ा देती है। इसमें पाए जाने वाले जिंक, प्रोटीन, विटामिन B6,E आदि मस्तिष्क क्रियाओं में सहायक होती है।
आयुर्वेद में मेमोरी एनहान्सर अर्थात स्मरण शक्ति बढ़ाने और मानसिक मजबूती प्रदान करने के लिए कई आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं। स्मरण शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवाएं इन जड़ी बूटियों को जरुर शामिल करती हैं-
ब्राह्मी - ब्राह्मी का गुण एडाप्टोजेनिक है। दिमाग की न्यूरो कोशिकाओं को नियंत्रित करती है। इसके साथ यह दिमाग में स्त्रावित होने वाले हॉर्मोनो जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन आदि के संतुलन को बनाये रखने और मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र के प्रबंधन में अच्छा कार्य करती है।
ब्राह्मी दिमाग को तनाव से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है जिससे विपरीत स्थितियों का नेगेटिव असर नहीं होता। ध्यान बढ़ता है और स्मरण शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
वाचा - वाचा भी एक बेहतरीन औषधि है जो मस्तिष्क के लिए बनाये जाने वाली दवाओं में शामिल की जाती है। यह चिंता, डर और डिप्रेशन आदि समस्याओं में फायदा पहुंचाती है। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को मैनेज करती है। हमारे दिमाग में इलेक्ट्रोनिक धाराएँ चलती है, अगर इनमें असंतुलन हो तो दिमाग की शक्ति कम हो सकती है, वाचा इन इलेक्ट्रिक वेव्स को संतुलित बना कर रखता है।
शंखपुष्पी - दिमाग की शांति के लिए कोर्टिसोल स्तर का अच्छा बना रहना आवश्यक है। अगर यह बढ़ जाता है तो तनाव भी बढ़ जाता है। शंखपुष्पी इस हॉर्मोन के स्तर को नियंत्रित में रखती है।
अनिद्रा, तनाव, अशांति, नर्वस सिस्टम आदि के लिए शंखपुष्पी एक बेहतरीन औषधि है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए सरस्वती चूर्ण का निर्माण इसी औषधि से किया जाता है।
शंखपुष्पी का सेवन आपके बच्चों के पढ़ाई में दिमाग तेज करने का एक अच्छा तरीका है। इससे उनकी पढ़ी हुई चीज़ों को याद रखने की शक्ति, पढ़ाई पर फोकस आदि में अच्छा फायदा होता है।
माइंड को एक्टिव रखने वाले गेम खेलें - हमेशा ऐसे खेल खेलें जिनमें दिमागी कसरत होती है। जैसे शतरंज, कार्ड्स, सुडोकु, कैलकुलेशन आधारित खेल आदि। ये आपकी सोचने और याद रखने की क्षमता की परीक्षा लेते हैं। जैसे हमारे शारीरिक व्यायाम से शरीर को फायदा होता है, वैसे ही दिमागी कसरत से दिमाग स्वस्थ और मजबूत बनता है।
नियमित अध्ययन- किताबें, लेख आदि पढ़ते रहें। ये आपके मस्तिष्क के प्रभागों को खोलता है। इसके साथ आप हॉबीज़ और रुचियों से जुड़ी चीज़ें भी करते रहें, जैसे पेंटिंग, लेखन, अध्यापन, कविता लेखन, सिंगिंग ये भी मन और दिमाग को सुकून प्रदान करती हैं।
शारीरिक व्यायाम - नियमित एक्सरसाइज न केवल शरीर, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखती है। याद रखें स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। कसरत करने से हैप्पी हॉर्मोनों का स्त्राव होता है, जो मानसिक तनाव से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। डिप्रेशन जैसी समस्या नहीं होती।
नया सीखने की कोशिश करें - हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करें। नयी भाषाएँ सीखें, कोई वाद्य यंत्र बजाना सीखें। जिस हाथ से हमेशा काम करते हैं, उसी काम को दूसरे हाथ से करने की कोशिश करें।
ये सभी प्रयास आपके दिमाग को मजबूत करने में किसी दिमाग तेज करने की आयुर्वेदिक दवा के जैसे ही कार्य करेंगे। आयुर्वेदिक दवाओं पर अधिक जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट आयुर्वेदाचार्य से भी परामर्श ले सकते हैं।
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