एक सप्ताह से मौसम में तेजी से हुए परिर्वतन से सर्दी-जुकाम व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है। एमवाय अस्पताल की ओपीडी में मेडिसिन विभाग में रोज निमोनिया, दमा, सर्दी, जुकाम से ग्रस्त 500 से 600 मरीज पहुंच रहे हैं। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।
ठंड के मौसम में स्वाइन फ्लू के वायरस का प्रभाव के साथ अन्य मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। ठंड में रोग प्रतिरोध क्षमता कम होने से बच्चों व बुजुर्गों में सर्दी खांसी के साथ निमोनिया या सामान्य बुखार के मामले बढ़े हैं। एमवाय अस्पताल में रोज हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक के 8 से 10 मरीज पहुंच रहे हैं। टीबी एंड चेस्ट विभाग में रोज 150 से 200 दमा के मरीज पहुंच रहे हैं।
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ये सावधानियां रखें दिल के मरीज
- ज्यादा ठंडे माहौल में जाने से बचें। ठंड में अच्छी तरह ऊनी वस्त्र पहनकर व टोपी लगाकर निकलें, ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे व रक्तवाहिनियों में सिकुडऩ न हो।
- अधिक वसायुक्त चीजों व सिगरेट, शराब आदि का सेवन न करें। इससे रक्तवाहिनियां संकरी हो सकती हैं व हृदय तक सही रक्त संचार में दबाव बढऩे की समस्या आ सकती है।
- 3-4 किलोमीटर सैर जरूर करें। इससे रक्त संचार बेहतर होगा, शरीर में गर्माहट बनी रहेगी और वसा का जमाव भी नहीं होगा। भारी व्यायाम से बचें।
- नमक, मक्खन और घी का उपयोग भी सीमित मात्रा में ही करें। ब्लडप्रेशर नियंत्रित रखने के लिए वसा का जमाव नहीं होना चाहिए।
- तनाव न लें। गुनगुनी धूप का आनंद लें, लेकिन सिर को अधिक तपने न दें। गुनगुने पानी का सेवन करें।
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एक्सपर्ट ओपिनियन...
ठंड में हार्ट अटैक व एनजाइना (सीने में दर्द) के मामले अन्य मौसम की तुलना में बढ़ जाते हैं। निमोनिया, सर्दी-जुकाम, स्वाइन फ्लू के साथ ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में भी बढ़ोतरी होती है। ठंड में दिल की नसें सिकुड़ती हैं। ब्रेन स्ट्रोक की वजह बनने वाले हार्मोंस का भी ज्यादा रिसाव होता है। चेस्ट इंफेक्शन के मामले भी बढ़ जाते हैं। हार्ट अटैक मौसम के असर के साथ देखने में आता है। मरीज मेडिकल कांटेक्ट में भी देरी करते हैं। रात में ठंड ज्यादा होने से समय पर अस्पताल पहुंचने में देरी की जाती है। आमतौर पर ठंड के मौसम में ज्यादा वसायुक्त खाना भी हार्ट अटैक का कारण बनता है।
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