योग शरीर की इम्युनिटी बढ़ाकर रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। नियमित योग करने से शरीर लचीला होने के साथ मानसिक तनाव में कमी आती है। योग में प्राणायाम और आसनों का खास महत्व है। सबकी अपनी खूबी है। इन्हें करने का क्या तरीका है
प्राणायाम
प्राणायाम करने की सबसे अच्छी मुद्रा पद्मासन होती है। पद्मासन में न बैठ पाएं तो सुखासन की मुद्रा में पालथी मारकर बैठें।
शीतली प्राणायाम...दांतों को हल्के से जोड़ लें। दांतों के पीछे जीभ लगाकर गहरी लंबी सांस लें। सांस मुंह से लें और नाक से छोड़ें। यह दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। इसे सामान्यत: 11 बार करें। होंठ सूख जाते हों तो शुरूआत में पांच से छह बार करें। यह शरीर के तापमान को कम करने के साथ ही मस्तिष्क को ठंडा रखने के लिए भी अच्छा होता है। जिन्हें कफ है, वे इसे न करें।
शीतकारी प्राणायाम... मुंह खुला रखें और जीभ बाहर। होंठों को घुमाकर 'ओ' का आकार बनाएं। मुंह से सांस लें और नाक से छोड़ें। मुंह से सांस लेने पर जीभ के द्वारा ठंडी हवा अंदर जाती है। ध्यान दें कि शीतली और शीतकारी प्राणायाम गर्मी के मौसम में किए जाते हैं । शीत ऋतु में करने से सर्दी-ज़ुकाम हो सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम...मस्तिष्क ठंडा रखने के भ्रामरी प्राणायाम बेहतर होता है। कान और आंखों को बंद कर 'म' ध्वनि का उच्चारण करें। बुज़ुर्ग या सर्वाइकल से पीड़ित कंधे दुखने पर रुक-रुक कर इसे कर सकते हैं।
ध्यान दें...
आसन और प्राणायाम के सबसे बेहतर परिणामों के लिए सुबह का वक़्त उपयुक्त है। आसन खाली पेट ही करें।
योग करने के बाद 40 से 45 मिनट चाय या पानी न पिएं।
योग करने के लिए कंबल को चार बार मोड़ कर या योग मैट का ही इस्तेमाल करें।
एकदम खुली हवा में न बैठें। ऐसी जगह का चुनाव करें जहां हवा रुक कर आती हो क्योंकि खुली हवा में सांस लेते वक़्त धूल-धुएं के कण आ सकते हैं।
योगासन
सर्वांगासन...गर्मी के दिनों में शरीर का तापमान काफ़ी बढ़ जाता है। सर्वांगासन करने से रक्त प्रवाह मस्तिष्क की ओर जाता है। सर्वाइकल और उच्च रक्तचाप के मरीज़ बिल्कुल न करें।
विधि - कंबल को 4 बार मोड़ कर या योग मैट पर पीठ के बल लेटें। दोनों पैरों को घुटने मोड़े बिना ऊपर की ओर उठाएं। कोहनियां जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों से कमर को सहारा दें। दोनों पैरों को सीधा ऊपर की ओर रखें और 90 डिग्री का कोण बनाएं। थोड़ी देर तक इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे-धीरे नीचे कर लें।
पवनमुक्तासन...पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए पवनमुक्तासन सबसे अच्छा आसन माना गया है।
विधि- सबसे पहले पीठ के बल सीधे लेट जाएं। एक पैर मोड़कर सीने के पास लाएं। सिर को उठाकर घुटने पर नाक या ठुड्डी लगाने की कोशिश करें। जब पैर नासिका के पास लाएं तो पूरी सांस बाहर निकाल दें। यही क्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएं। अब दोनों घुटनों को सीने तक लाएं। पैरों को पकड़कर पीठ के बल झूला झूलें। जिन्हें कमर दर्द, स्लिप डिस्क या सायटिका की समस्या हो तो वे इसे दाएं-बाएं करें।
वृक्षासन...वृक्ष की तरह खड़े होने के कारण इसे वृक्षासन नाम दिया गया है। यह हमारे मस्तिष्क, शरीर और लिवर को आराम पहुंचाता है।
विधि-सीधे खड़े हो जाएं। अब अपना एक पैर मोड़कर दूसरे पैर पर घुटने के ऊपर टिका लें। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। कुछ देर इसी स्थिति में सांस रोककर खड़े रहें और सामने किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें। सांस छोड़ते हुए दोनों हाथ नीचे ले आएं। यही क्रिया दूसरे पैर से दोहराएं।
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