फुल बॉडी चेकअप (पूरे शरीर की जांच) कराने की कोई उम्र नहीं होती, यदि आपकी सेहत बिल्कुल ठीक है और आपको लाइफस्टाइल संबंधी कोई बीमारी नहीं है, तो भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको 25 साल की उम्र के बाद से अपना फुल बॉडी चेकअप नियमित रूप से ज़रूर कराना चाहिए | क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर अनेक बीमारियों से ग्रस्त रहने लगता है, इसलिए शराब, स्मोकिंग, शारीरिक श्रम के अभाव, तनाव की जिंदगी, आचार-विचार, व्यवहार व आहार में अनियमितता के कारण हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि रोगों ने उसे आ घेरा है।
फुल बॉडी चेकअप करवाने के प्रमुख कारण:-
♦ फुल बॉडी चेकअप करवाने से सबसे बड़ा फायदा यह है, की हमें समय रहते गंभीर बीमारियों का पता लग सकता हैं |
♦ मेडिकल टेस्ट से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही जेनेटिक बीमारयों का पता चलता है।
♦ टेस्ट कराने से यह पता चलता है, कि आपका शरीर पूरी तरह से फिट हैं या नहीं।
इन चार वजहों से पूरे शरीर का चेकअप या वार्षिक निवारक स्वास्थ्य जांच करवाना बहुत जरूरी है |
♦ प्रदूषित पर्यावरण
♦ व्यायाम का अभाव
♦ नींद की कमी
♦ काम पर तनाव
क्यों ज़रूरी है, मेडिकल टेस्ट करवाना:-
मेडिकल टेस्ट करवाने का मुख्य उद्देश्य होता है, कि बीमारी का पता चलने पर डॉक्टरी सलाह के अनुसार उसका सही उपचार किया जा सके। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ कुछ टेस्ट करवाने ज़रूरी होते हैं, जैसे- पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी 40 साल के बाद प्रत्येक महिला व पुरुष को हर 2 साल में 1 बार अपना पूरा मेडिकल चेकअप कराना चाहिए और 55 साल के बाद हर 1 साल में महिलाओं व पुरुषों को 1 बार अपना मेडिकल टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए।
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उम्र के अनुसार कराएं टेस्ट:-
0-1 साल
टेस्ट:- इस उम्र में वैसे तो किसी चेकअप की जरुरत तो नहीं होती हैं, क्यों कि शिशु के पैदा होते ही हॉस्पिटल में चेकअप हो जाता हैं ।
ख़ास बात:- यदि नवजात शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है, तो उसका कोई मेडिकल टेस्ट करवाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उम्र के अनुसार यदि बच्चे का सही शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो रहा है, तो तुरंत चाइल्ड एक्सपर्ट को दिखाएं।
2 साल
टेस्ट:- स्टूल टेस्ट।
क्यों ज़रूरी है:- स्टूल टेस्ट से हमें ये पता लग जाता हैं, कि कहीं पेट में कीड़े तो नहीं हैं।
ख़ास बात:- 2-10 साल तक के बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत ज्यादा रहती है। इसलिए स्टूल टेस्ट करवाना चाहिए।
4-5 साल
टेस्ट:- बच्चों का नॉर्मल मेडिकल चेकअप (यानी क़द, वज़न, आंख व दांत आदि चेक) करवाना चाहिए।
क्यों ज़रूरी है:- इसलिए जरुरी हैं, क्यों कि इससे बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास का पता लग जाता हैं।
ख़ास बात:- स्कूल जाने से पहले बच्चे की पूरी बॉडी का चेकअप करवाना ज़रूरी है, ताकि हमें किसी बीमारी का अंदेशा होने पर तुरंत उसका उपचार करवा सकें।
10 साल
टेस्ट:- आंख व दांतों का रेग्युलर चेकअप करवाना चाहिए।
क्यों ज़रूरी है:- यदि पहले के मेडिकल टेस्ट में कुछ गड़बड़ी हो, तो बच्चे का दोबारा रूटीन चेकअप ज़रूर कराएं।
15-18 साल
लड़कों के लिए
टेस्ट:- इस उम्र में एक्स-रे, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, ब्लड शुगर, थायरॉइड टेस्ट करवाना चाहिए।
क्यों ज़रूरी है:- यदि 15-18 साल तक लड़के का वजन ज़्यादा हैं, तो उसके लिए ये टेस्ट करवाना ज़रूरी है, क्यों कि इससे कोलेस्ट्रॉल व ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
लड़कियों के लिए
टेस्ट:- हार्मोनल व थायरॉइड टेस्ट।
क्यों ज़रूरी है:- यदि 15-18 साल तक की लड़कियों के पीरियड्स अनियमित आते हैं, तो उनको हार्मोनल व थायरॉइड टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
ख़ास बात:- 15-18 साल तक के किशोर, चाहे वो लड़का हो या लड़की, उम्र और क़द के अनुसार उनका वज़न अधिक होने से उनके शरीर में अनेक बीमारियाँ हो सकती हैं।
20-30 साल
इस उम्र के युवा यदि पूरी तरह से स्वस्थ हैं, तो उन्हें कोई विशेष टेस्ट कराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार सारे मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए।
महिलाओं के लिए कुछ अन्य टेस्ट:-
पीरियड्स के लिए:- यदि 20 से 30 साल की उम्र में भी महिलाओं के पीरियड्स अनियमित रूप से आते हैं, तो उनको पीसीओडी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
प्रेग्नेंसी के समय:- प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में ब्लड शुगर, थायरॉइड, यूरिन टेस्ट, थैलीसीमिया, हीमोग्लोबिन और एचआईवी आदि टेस्ट करवाने चाहिए।
40 साल के बाद महिलाओं को कुछ टेस्ट जरूर करवाने चाहिए:-
टेस्ट:- मेमोग्राफी।
क्यों ज़रूरी है:- स्तन संबंधी बीमारियों की जांच करने के लिए मेमोग्राफी कराई जाती है, जिसमें विशेष रूप से स्तन कैंसर का पता लगाया जाता हैं।
ख़ास बात:- इंडियन कैंसर सोसाइटी के अनुसार 40 साल के बाद महिलाओं को साल में 1 बार मेमोग्राफी ज़रूर करवानी चाहिए। वैसे तो महिलाएं घर पर ख़ुद ही ङ्गसेल्फ बे्रस्ट एग्ज़ामिनफ कर सकती हैं। एग्ज़ामिनेशन के दौरान स्तन में किसी तरह की गांठ महसूस हो तो तुरंत एक्सपर्ट को दिखाएं।
टेस्ट:- पैप स्मीयर।
क्यों ज़रूरी है:- यह टेस्ट सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता हैं।
ख़ास बात:- सर्वाइकल कैंसर का इंजेक्शन लगाने के बाद भी पैप स्मीयर टेस्ट कराना बहुत जरुरी हैं, क्योंकि इसके बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका बनी रहती है। तो यह इंजेक्शन केवल प्रिवेंशन का काम करता है, उपचार का काम नहीं करता हैं।
टेस्ट:- पेल्विक अल्ट्रासाउंड।
क्यों ज़रूरी है:- पेल्विक अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पीरियड्स अनियमित होना, पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द व ब्लीडिंग होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और ओवरी कैंसर आदि का आसानी से पता लग जाता हैं।
ख़ास बात:- ट्युमर और यूरिनरी ब्लैडर संबंधी बीमारियों की जांच कराने के लिए महिलाओं व पुरुषों को पेल्विक अल्ट्रासाउंड करवाने की ज़रूरत होती है।
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45 साल के बाद महिलाओं व पुरुषों के लिए ज़रूरी टेस्ट:-
1. टेस्ट:- यूरिन इंफेक्शन।
क्यों ज़रूरी है:- यदि पेशाब में संक्रमण होता हैं तो यह टेस्ट कराया जाता है। बार-बार और लंबे समय तक यूरिन में इंफेक्शन होने से भविष्य में किडनी संबंधी बीमारी हो सकती हैं।
ख़ास बात:- उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं और पुरुषों में यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की समस्या बढ़ने लगती है। पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी हरेक महिला व पुरुष को हर 5 साल में यूरिन टेस्ट कराते रहना चाहिए।
2. टेस्ट:- बीपी, ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) और टीएमटी।
क्यों ज़रूरी है:- दिल से संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिए बीपी, ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) और टीएमटी आदि टेस्ट करवाने आवश्यक हैं।
ख़ास बात:- 45 साल के बाद प्रत्येक महिला और पुरुष को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कराना जरुरी हैं। इसके अलावा बाकी के सारे मेडिकल टेस्ट भी हर 2-3 साल में कराते रहना चाहिए ।
3. टेस्ट:- बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी)।
क्यों ज़रूरी है:- ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी का कोई पुराना फ्रैक्चर, स्पाइनल डिफॉर्मिटी या ऑस्टियोपेनिया (बोन डेंसिटी का कम होना) से ग्रस्त महिलाओं व पुरुषों को बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) टेस्ट कराने की बहुत ज़रूरत होती हैं।
ख़ास बात:- ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या आमतौर पर महिलाओं में अधिक होती है। 45 साल के बाद महिलाओं को हर 5 साल में बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) टेस्ट कराना चाहिए, और मीनोपॉज होने के हर 2 साल बाद भी बीएमडी टेस्ट कराना चाहिए।
पुरुषों के लिए:-
टेस्ट:- प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (पीएसए)।
क्यों ज़रूरी है:- प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (पीएसए) टेस्ट करवाना चाहिए।
ख़ास बात:- यूरिन संबंधी समस्या होने पर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। अमूमन पुरुषों में 65 साल के बाद प्रोस्टेट कैंसर की समस्या होती है, लेकिन डॉक्टरी सलाह के अनुसार पहले भी पीएसए टेस्ट करवा सकते हैं।
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