कैंसर के इलाज में बेहतर साबित हो सकती है नई नैनो तकनीक : अध्ययन

KayaWell Expert
  11/30/2018 12:00:00 AM

लंदन : देश-दुनिया में कैंसर जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए राहत की खबर है। वैज्ञानिकों ने कैंसर पीड़ित लोगों के लिए ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जिससे मरीज के खून की जांच होगी और सूक्ष्म कणों का इस्तेमाल कर कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। खून के विश्लेषण के लिए ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई इस तकनीक से अब तक अज्ञात रहे अणुओं को पहचानने में मदद मिलेगी। 

‘जर्नल्स ऑफ एडवांस्ड मैटेरियल्स’ में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट के मुताबिक, इस खून की जांच में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का पता लगाने और निगरानी करने की क्षमता है। किसी बीमारी की प्रतिक्रिया के रूप में रक्त प्रवाह में छोड़े गए मार्करों का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं और संख्या में बहुत कम होते हैं।

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अध्ययन से पता चला है कि छोटे अणु - विशेष रूप से प्रोटीन - कैंसर रोगियों के रक्त परिसंचरण में सूक्ष्म कणों के साथ चिपके रहते हैं। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से मारिलेना हडजिडेमेट्रियो ने कहा, "कई रक्त जांचों में अस्पष्टता एक समस्या है जो या तो रोग का पता लगाने में विफल रहती हैं या झूठी सकारात्मक और झूठी नकारात्मक जानकारी देती हैं।" उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक बड़ा बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है।

आखिरकार क्या है कैंसर

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। कैंसर के जानलेवा होने का मुख्य कारण ये है कि मरीज को इसके लक्ष्णों का बहुत देरी में पता चलता है, जिसके कारण यह गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। कुछ मामलों में कैंसर का सही समय पर पता चलने पर इलाज संभव है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह इंसान की जान ले लेती है।

ये हैं कैंसर की अवस्थाएं

- डॉक्टरों के मुताबिक पहली और दूसरी अवस्था में किसी भी इंसान में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है। इस ट्यूमर के टिश्यूज की गहराई का सही समय पर पता चलने पर इसका इलाज संभव है।

- तीसरी अवस्था में शरीर में कैंसर का ट्यूमर विकसित हो चुका होता है और इसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की संभावना 100फीसदी तक रहती है। 

- चौथी अवस्था कैंसर की आखिरी अवस्था होती है। इसमें कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है। इसे विकसित या मैटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है। इस अवस्था में इलाज और देखभाल मिलने के बावजूद मरीज की मौत हो जाती है।

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